tag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post1568122334986378307..comments2024-01-31T15:59:22.446+05:30Comments on संवेदना संसार: सिंदूरदान (एक पौराणिक आख्यान) भाग-1रंजनाhttp://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-88459552546923411642009-10-03T23:01:34.396+05:302009-10-03T23:01:34.396+05:30कुछ अलग सा... शुभकामनायें !कुछ अलग सा... शुभकामनायें !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-34796634463571018992009-09-26T11:17:13.234+05:302009-09-26T11:17:13.234+05:30यह कथा और इस के कुछ चरित्र पहले कभी नहीं सुने.
रंज...यह कथा और इस के कुछ चरित्र पहले कभी नहीं सुने.<br />रंजना जी आप की कहानी में सुन्दर शब्द मन्त्र मुग्ध कर रहे हैं..कणाद और गांधारी..की यह कथा यहाँ तक बहुत पसंद आई..देर से पढ़ पाने का एक फायदा हुआ की अगला भाग भी अभी साथ ही पढूंगी..निरंतरता बनेगी..रोचकता है..जिज्ञासा भी..कणाद क्या पश्चाताप कर पायेगा अगर हां तो कैसे?या किशोर मन लड़खडाने लगेगा..बाल विधवा गांधारी की हृदय पर भी क्या कोई प्रभाव पड़ेगा??अब पढ़ती हूँ आप इस कहानी का अगला भाग..Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-92222229724341224052009-09-24T13:43:57.585+05:302009-09-24T13:43:57.585+05:30aagen ka intzar. abhee to jigyasa-hee -jigyasa ......aagen ka intzar. abhee to jigyasa-hee -jigyasa ... <br />lekin adhee kahanee me bhee pathya-ras kamee nahin hai. katha vachne kee apkee kala bahut umda hai...<br />ranjitरंजीत/ Ranjithttps://www.blogger.com/profile/03530615413132609546noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-11479583106163704872009-09-23T22:07:43.030+05:302009-09-23T22:07:43.030+05:30शब्दों का चुनाव और भाषा की लय ने इस आख्यान की सुन्...शब्दों का चुनाव और भाषा की लय ने इस आख्यान की सुन्दरता मैं चार चाँद लगा दिया | <br /><br />अगले भाग की प्रतीक्षा कर रहा हूँ |Rakesh Singh - राकेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/03770667837625095504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-59513250743336440302009-09-23T18:04:28.879+05:302009-09-23T18:04:28.879+05:30अगले भाग की प्रतीक्षा है. लेखन के बारे में नया कहन...अगले भाग की प्रतीक्षा है. लेखन के बारे में नया कहने के लिए कुछ नहीं है. ललित निबंध की विधा में क्या कुछ लिख देंगी, उसका अनुमान लगाया जा सकता हैं.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-52679736537866536822009-09-23T17:49:41.788+05:302009-09-23T17:49:41.788+05:30मन को विचलित करती है अच्छी प्रस्तुति है!!मन को विचलित करती है अच्छी प्रस्तुति है!!Murari Pareekhttps://www.blogger.com/profile/16625386303622227470noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-43827548266415948032009-09-23T16:53:44.593+05:302009-09-23T16:53:44.593+05:30पौराणिक आख्यान पढ़ा |बाल मनोविज्ञान की ओर भी ध्यान ...पौराणिक आख्यान पढ़ा |बाल मनोविज्ञान की ओर भी ध्यान गया | लेखन शैली की बात ही क्या ,कुछ शब्दों की ओर आकर्षित हुआ और उन्हें नोट किये मसलन "धवल उर्मी में धुल कर बह गया ""करुण क्रंदन ने अभिशप्त ""वात्सल्यमयी छत्रछाया,,""जनशून्य अलंघ्य दुकूल ""ह्रदय को दग्ध कर दिया""BrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-72396496808238996922009-09-23T16:15:25.295+05:302009-09-23T16:15:25.295+05:30शिवानी के बाद अगर किसी और को हिंदी भाषा में इतने अ...शिवानी के बाद अगर किसी और को हिंदी भाषा में इतने अधिकार पूर्वक लिखते देखा है तो वो आपको...भाषा का माधुर्य और सौन्दर्य छलकता है आपकी रचनाओं में...ऐसी सुसंस्कृत भाषा का अपमान हम अपने देश में कैसे कर पाते हैं समझना मुश्किल है...<br />आगे क्या हुआ जानने की प्यास बढ़ रही है...<br />लतालता 'हया'https://www.blogger.com/profile/10512517381147885252noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-26603065902813041382009-09-23T14:33:39.518+05:302009-09-23T14:33:39.518+05:30आपके कहने का साहित्य बहुत ही प्रसंसनीय है. जारी रह...आपके कहने का साहित्य बहुत ही प्रसंसनीय है. जारी रहें.<br />---<br /><br />Till 30-09-09 लेखक / लेखिका के रूप में ज्वाइन <a href="http://ultateer.blogspot.com" rel="nofollow">[उल्टा तीर]</a> - होने वाली एक क्रान्ति!Amit K Sagarhttps://www.blogger.com/profile/15327916625569849443noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-6101655202424576462009-09-23T13:18:41.305+05:302009-09-23T13:18:41.305+05:30रंजना जी,
आपके लेखन ने शिक्षु कणाद की भांति ही जड़...रंजना जी,<br /><br />आपके लेखन ने शिक्षु कणाद की भांति ही जड़वत कर दिया है। कल्पना में कथानक चित्रमय हो उभर आता है।<br /><br />अगली कड़ी की प्रतीक्षा में....<br /><br />सादर,<br /><br /><br />मुकेश कुमार तिवारीमुकेश कुमार तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-40124583380353262832009-09-23T10:57:14.390+05:302009-09-23T10:57:14.390+05:30आपने तो मुझे मंत्र मुग्ध कर दिया रंजना जी ।
कब पढ...आपने तो मुझे मंत्र मुग्ध कर दिया रंजना जी । <br />कब पढ़ना शुरू की कब ख़त्म हुआ पता ही नहीं चला ।<br />पौराणिक कथा का इतना सजीव वर्णन वाह ।<br />मैं तो आपके लेखन शैली को पढ़ दंग हूँ।<br />आपको बहुत बहुत बधाई !!Kusum Thakurhttps://www.blogger.com/profile/02345756853367472461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-29861969950258915222009-09-23T09:38:15.165+05:302009-09-23T09:38:15.165+05:30भाषा-सौंदर्य कहानी का प्राण बनकर निकला है। अति सुं...भाषा-सौंदर्य कहानी का प्राण बनकर निकला है। अति सुंदर प्रस्तुति!प्रेमलता पांडेhttps://www.blogger.com/profile/11901466646127537851noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-30263095354213577602009-09-23T09:06:10.155+05:302009-09-23T09:06:10.155+05:30अगली कड़ी की प्रतीक्षा में....अगली कड़ी की प्रतीक्षा में....Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-1299883667034888692009-09-23T08:20:48.721+05:302009-09-23T08:20:48.721+05:30इस बार तो आपके यहाँ भी विलंबित रस निष्पत्ति हो रही...इस बार तो आपके यहाँ भी विलंबित रस निष्पत्ति हो रही है... अति सुंदर मैं अगली कड़ी की प्रतीक्षा में हूँ.के सी https://www.blogger.com/profile/03260599983924146461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-84078429687874028712009-09-23T02:08:18.601+05:302009-09-23T02:08:18.601+05:30RANJANA JEE,
DHERON HEE JAANE-MAANE
KATHA ...RANJANA JEE,<br /> DHERON HEE JAANE-MAANE<br />KATHA VAACHKON SE PAURAANIK AAKHYAAN SUNE .SABKE KAHNE-<br />SUNAANE KE ANDAAZ ACHCHHE LAGE<br />LEKIN AAPKE KAHNE AUR SUNAANE KAA<br />ANDAZ KUCHH AUR HEE HAI GAALIB KEE<br />TARAH.pran sharmahttps://www.blogger.com/profile/14595198332257086105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-37478383574283521912009-09-22T23:52:18.923+05:302009-09-22T23:52:18.923+05:30pauranik katha achchi lagi.........pauranik katha achchi lagi.........Harshvardhanhttps://www.blogger.com/profile/03416011520058251827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-68988079035385583672009-09-22T23:50:43.630+05:302009-09-22T23:50:43.630+05:30रंजना जी, आपकी शैली में ये आख्यान इतना सुन्दर लगा ...रंजना जी, आपकी शैली में ये आख्यान इतना सुन्दर लगा कि मंत्रमुग्ध हो पढते चले गये....प्रत्येक दृ्श्य मानो आखोँ के सामने सजीव हो उठा हो....प्रस्तुतिकरण इतना रोचक है कि आगे के वृ्तान्त की प्रतीक्षा करना थोडा मुश्किल लग रहा है!!!Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-73040894704635770232009-09-22T22:58:04.556+05:302009-09-22T22:58:04.556+05:30पौराणिक कथाओं को इस रोचक अंदाज में सुनना-अद्भुत. ब...पौराणिक कथाओं को इस रोचक अंदाज में सुनना-अद्भुत. बहुत अच्छा लगा.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-55972310831206617082009-09-22T22:43:58.520+05:302009-09-22T22:43:58.520+05:30बेहद खूबसूरत रचना लिखा है आपने। जितनी तारीफ कि जाय...बेहद खूबसूरत रचना लिखा है आपने। जितनी तारीफ कि जाये कम होगी। ऐसा लग रहा था कि सजीव वर्णन हो रहा हो। लाजवाब, बहुत-बहुत बधाई आपको इस लाजवाब रचना के लिए।Mithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-68546569509402721742009-09-22T22:39:49.656+05:302009-09-22T22:39:49.656+05:30itne spasht aalekhon ko padhna sukhad lagta haiitne spasht aalekhon ko padhna sukhad lagta haiरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-71475559940462084362009-09-22T20:27:20.416+05:302009-09-22T20:27:20.416+05:30बहुत सूंदर कथा लगी, पढ कर अच्छा लगा, लेकिन क्रमश न...बहुत सूंदर कथा लगी, पढ कर अच्छा लगा, लेकिन क्रमश ने थोडा विचलित किया, अगई कडी का बेचेनी से इंतजार है, ओर हां यह कणाद आगे जा कर कणाद मुनि के नाम से प्रसिद्ध हुये थे, क्या वो ही है?<br />धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-91178425615679547542009-09-22T20:10:28.202+05:302009-09-22T20:10:28.202+05:30अरे वाह ! बहुत दिनों के बाद ऐसी शैली में कुछ पढने ...अरे वाह ! बहुत दिनों के बाद ऐसी शैली में कुछ पढने को मिला. क्या सच में यह कहानी किसी पौराणिक पुस्तक पर आधारित है या फिर आपके कल्पना की उपज है?Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-83958786343303072992009-09-22T19:29:52.951+05:302009-09-22T19:29:52.951+05:30मै तो आपकी वृत्तांत वर्णन की व्यवस्थित कला को देखक...मै तो आपकी वृत्तांत वर्णन की व्यवस्थित कला को देखकर (पढकर) मै चकित हूँ. कितना सुन्दर लिखती है आप. <br />एक एक घटना आँखो के सामने दृश्यवत आती गयी. <br />आगे के वृत्तांत का इंतजार है.M VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-27498236949514653932009-09-22T18:58:39.658+05:302009-09-22T18:58:39.658+05:30किसी को हिन्दी भाषा का नाद सौन्दर्य देखना हो तो डॉ...किसी को हिन्दी भाषा का नाद सौन्दर्य देखना हो तो डॉ रंजना सिंह के संवेदना संसार में आये ! <br />मंत्रमुग्ध हूँ -आगे क्या हुआ ?<br />कृपा कर संपादित करें -<br />अनुशाशन ,शंशयहीनArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-84564628611757492472009-09-22T17:15:46.545+05:302009-09-22T17:15:46.545+05:30बेचारा कणाद! आगे भी खायेगा मर्यादाओं के कोड़े! देखे...बेचारा कणाद! आगे भी खायेगा मर्यादाओं के कोड़े! देखें, क्या होता है!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.com