tag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post171413116648072470..comments2024-01-31T15:59:22.446+05:30Comments on संवेदना संसार: तरु और लता...रंजनाhttp://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comBlogger37125tag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-66515218767309271662010-12-22T01:05:17.757+05:302010-12-22T01:05:17.757+05:30सुन्दर शब्द संयोजन..अर्थ और भावपूर्ण अद्भुत है तरु...सुन्दर शब्द संयोजन..अर्थ और भावपूर्ण अद्भुत है तरु और लता !Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-45119562384105020812010-12-14T20:18:37.438+05:302010-12-14T20:18:37.438+05:30अहम् त्यागने का बहुत अच्छा सन्देश आपने दिया है ,का...अहम् त्यागने का बहुत अच्छा सन्देश आपने दिया है ,काश लोग समझें और अमल करें तो समस्त संसार सुखी हो जाए.vijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-51468501897048248312010-12-14T19:27:50.549+05:302010-12-14T19:27:50.549+05:30फिर क्या तुलना क्या रंज भेद, क्यों मन में कोई घाव ...फिर क्या तुलना क्या रंज भेद, क्यों मन में कोई घाव भरें,<br />आ स्नेह से हिल मिल संग रहें,क्यों सुखमय जीवन नष्ट करें..... सुन्दर रचना .<br />क्या कमाल का लिखती हो आप ? बहुत ही प्यारी कविता , ... सीधे दिल को छू गई!anita saxenahttps://www.blogger.com/profile/04841950789148054971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-30913922903182565322010-12-06T15:23:15.685+05:302010-12-06T15:23:15.685+05:30अंत भला सो सब भला
सुन्दर रचना .. सघन भावअंत भला सो सब भला<br />सुन्दर रचना .. सघन भावM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-88366346020189883052010-11-26T21:31:58.614+05:302010-11-26T21:31:58.614+05:30वाह क्या बात है , बहुत सुंदर अभिव्यक्ति । नहीं कोई...वाह क्या बात है , बहुत सुंदर अभिव्यक्ति । नहीं कोई बडा , नहीं कोई हीन....बहुत प्यारी रचनाanita saxenahttps://www.blogger.com/profile/04841950789148054971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-76918382842356851782010-11-26T12:38:14.731+05:302010-11-26T12:38:14.731+05:30aapki hindi kitni acchi hai na ..
ye rachna padhk...aapki hindi kitni acchi hai na .. <br />ye rachna padhkar bahut aacha laga .. shabd aur bhaav sundar roop se jhalak rahe hai ..<br /><br />bahut sundar rachna <br /><br />badhayi <br /><br />vijayvijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-17579839715494490002010-11-10T21:51:35.140+05:302010-11-10T21:51:35.140+05:30वृक्ष से लता का मिलना
अटूट विश्वास
अंततः विजय।
......वृक्ष से लता का मिलना<br />अटूट विश्वास<br />अंततः विजय।<br />....सुंदर कविता पढ़कर सुंदर भाव जगे।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-71571371934825220132010-11-09T17:31:18.859+05:302010-11-09T17:31:18.859+05:30अंतर्मन की संवेदनाओं को छूने में समर्थ रचना !
-ज्...अंतर्मन की संवेदनाओं को छूने में समर्थ रचना !<br />-ज्ञानचंद मर्मज्ञज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-13254937273521559482010-11-08T21:34:18.266+05:302010-11-08T21:34:18.266+05:30आपने गर्वोन्नत अडिग ‘वृक्ष’... और विनयावनत् सुकोम...आपने गर्वोन्नत अडिग ‘वृक्ष’... और विनयावनत् सुकोमल-सुनम्य ‘अमरबेल’ के दो प्रतीकों को बख़ूबी साधकर वह सब कह दिया, जो आप कहना चाहती थीं।<br /><br />सांकेतिकता में बँधी यह काव्यात्मक कथा...और कथान्त में सन्निविष्ट-संप्रेषित संदेश ने आपको बधाई का सच्चा सुपात्र बनाया है!<br /><br />निम्नोद्धृत पंक्तियों-<br /><br />"लघु तुच्छ सदा उसे ठहरा कर, तरु बड़ी तुष्टता पाता था,<br />निज लाचारी को देख ,लता का ह्रदय क्षुब्ध हो जाता था."<br /><br />-में ‘ह्रदय’ शब्द को टाइप करने में थोड़ी चूक हो गयी है आपसे। सही वर्तनी होगी- ‘हृदय’(बराह पैड में लिखें hRuday) ! ...और ‘तुष्टता’ शब्द का प्रयोग मैंने कभी-कहीं देखा या पढ़ा नहीं हैं। ‘तुष्ट/संतुष्ट’ के संज्ञा शब्द ‘तुष्टि/संतुष्टि’ हैं। ख़ैर...देख लीजिएगा आप... इधर मैं भी खोजूँगा।<br /><br />समग्रतः भाषा पर आपका बहुत सराहनीय अधिकार है...सब सामने दिख रहा है।जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauharhttps://www.blogger.com/profile/06480314166015091329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-22640989449926846672010-11-08T14:52:06.040+05:302010-11-08T14:52:06.040+05:30फिर क्या तुलना क्या रंज भेद, क्यों मन में कोई घाव ...फिर क्या तुलना क्या रंज भेद, क्यों मन में कोई घाव भरें,<br />आ स्नेह से हिल मिल संग रहें,क्यों सुखमय जीवन नष्ट करें. ..<br /><br />भाव पूर्ण ... आशा वादी ... जीने की प्रेरणा देती .... सुन्दर शब्दों से सजी ... प्रारम्भ से अंत तक जैसे कोई कहानी जन्म ले रही हो ... उत्सुकता भरी रहती है इस रचना में ... बेहद सुन्दर रचना के लिए बधाई ..... आपको और परिवार को दीपावली की मंगल कामनाएं ..दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-59700460797236015992010-11-05T15:28:03.116+05:302010-11-05T15:28:03.116+05:30wish u a happy diwali and happy new yearwish u a happy diwali and happy new yearRockStarhttps://www.blogger.com/profile/13222836960801220300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-75217728454249423152010-11-05T12:06:02.931+05:302010-11-05T12:06:02.931+05:30आप को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
मैं आपके...आप को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!<br />मैं आपके -शारीरिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली की कामना करता हूँBrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-33923923736897899512010-11-04T20:34:07.915+05:302010-11-04T20:34:07.915+05:30बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति दीपावली की...बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति दीपावली की शुभकामनाये।Sunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-45926884026967537542010-11-04T05:03:00.847+05:302010-11-04T05:03:00.847+05:30फिर क्या तुलना क्या रंज भेद, क्यों मन में कोई घाव ...फिर क्या तुलना क्या रंज भेद, क्यों मन में कोई घाव भरें,<br />आ स्नेह से हिल मिल संग रहें,क्यों सुखमय जीवन नष्ट करें.<br /><br />सुंदर कोमल भावों वाली कविता और सीख भी सुंदर ।<br /><br />पर अमर बेल परजीवी होती है ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-18198451714456797432010-11-02T21:44:22.758+05:302010-11-02T21:44:22.758+05:30कविता में भावपक्ष प्रबल है.
एक और खास बात है कि जै...कविता में भावपक्ष प्रबल है.<br />एक और खास बात है कि जैसे जैसे कविता आगे बढ़ती है,पढ़ने की उत्सुकता बढ़ती जाती है.<br />आपकी कलम में ताकत है.good.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-16181482124136632752010-11-02T20:11:53.429+05:302010-11-02T20:11:53.429+05:30अद्भुत ! इसे गाकर पोस्ट करिए न.अद्भुत ! इसे गाकर पोस्ट करिए न.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-1363264055813676762010-11-02T17:25:31.472+05:302010-11-02T17:25:31.472+05:30बेहतरीन ! शब्द रचना और भावनात्मकता दोनों लाजवाब है...बेहतरीन ! शब्द रचना और भावनात्मकता दोनों लाजवाब हैं !Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-65677741312385984302010-11-02T15:45:19.437+05:302010-11-02T15:45:19.437+05:30प्रिय ने जो अंगीकार किया, तन मन अपना वह वार चली,
ह...प्रिय ने जो अंगीकार किया, तन मन अपना वह वार चली,<br />हर शाख शाख पत्ते पत्ते, लिपटी लिपटी वह खूब खिली.<br /><br />मैंने जब भी आपका लेख पढ़ा हमेशा एक भ्रम पाल लिया की आपका गध आपके काव्य से श्रेष्ठ है लेकिन जब भी आपने कोई काव्य लिखा ये भ्रम हमेशा टूट जाता है ,<br />आज के बाद ऐसा नहीं सोचूंगा ,शायद ये सोचना ऐसा ही था जैसे की दो आँखों में देखकर इन्सान कहने लगे की ये ज्यादा सुन्दर है या ये ज्यादा ..<br />मनमोह लिया आपकी कविता ने ...कविता के साथ दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें .इश्वर आपके ज्ञान का प्रकाश हर तरफ फैलायेनिर्झर'नीरhttps://www.blogger.com/profile/16846440327325263080noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-60300963511809957692010-11-02T10:59:11.956+05:302010-11-02T10:59:11.956+05:30बहुत सुंदर कविता, भाषा यहाँ भी अपने पूरे सौन्दर्य ...बहुत सुंदर कविता, भाषा यहाँ भी अपने पूरे सौन्दर्य के साथ उपस्थित है. बधाई.के सी https://www.blogger.com/profile/03260599983924146461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-5775653324021675692010-11-02T10:35:33.420+05:302010-11-02T10:35:33.420+05:30चाहा तेरा है साथ सदा, चाहे जिस ओर गति तेरी,
यूँ ही...चाहा तेरा है साथ सदा, चाहे जिस ओर गति तेरी,<br />यूँ ही जीवन भर संग रहूँ , नहीं दूजी कोई साध मेरी.<br /><br />wah wah wah!सुरेन्द्र "मुल्हिद"https://www.blogger.com/profile/00509168515861229579noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-62248234945377171532010-11-02T09:48:02.875+05:302010-11-02T09:48:02.875+05:30यह रचना मन को बहुत आस बँधाती है। काश यह भाव चारो ओ...यह रचना मन को बहुत आस बँधाती है। काश यह भाव चारो ओर फैले...।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-44482162481149456232010-11-02T09:28:14.840+05:302010-11-02T09:28:14.840+05:30प्रिय ने जो अंगीकार किया, तन मन अपना वह वार चली,
ह...प्रिय ने जो अंगीकार किया, तन मन अपना वह वार चली,<br />हर शाख शाख पत्ते पत्ते, लिपटी लिपटी वह खूब खिली.<br />नारी के प्रेममय जीवन की शुरूआत।<br /><br />था आत्मविश्वास न रंचमात्र, जो प्रतिकार वह कर पाती,<br />अपमान गरल नित पी पीकर, भाग्य मान सब सह जाती. <br />फिर उसके संघर्ष, उसकी अवहेलना उसे दुखी करती मगर <br />फिर क्या तुलना क्या रंज भेद, क्यों मन में कोई घाव भरें,<br />आ स्नेह से हिल मिल संग रहें,क्यों सुखमय जीवन नष्ट करें. <br />नारी की सहनशीलता उसे जीने को प्रेरित कर ती। नारी के सम्पूर्ण जीवन की सुन्दर झाँकी। <br />दीपावली की शुभकामनाये।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-699504183450041402010-11-02T09:03:30.263+05:302010-11-02T09:03:30.263+05:30बहुत ही सुन्दर कविता.. अभिव्यक्तियों को अच्छे शब्द...बहुत ही सुन्दर कविता.. अभिव्यक्तियों को अच्छे शब्द दिए हैं ....<br />मेरे ब्लॉग पर <a href="http://i555.blogspot.com/2010/11/blog-post.html" rel="nofollow">कभी कभी....</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-16796749457866159692010-11-02T07:44:51.403+05:302010-11-02T07:44:51.403+05:30bahut sunder bhavbharee abhivykti........
laajwaab...bahut sunder bhavbharee abhivykti........<br />laajwaab.Apanatvahttps://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-88074803570563663922010-11-01T22:57:24.065+05:302010-11-01T22:57:24.065+05:30भावपूर्ण ,अर्थपूर्ण और मनोभावों की बेहतरीन प्रस्तु...भावपूर्ण ,अर्थपूर्ण और मनोभावों की बेहतरीन प्रस्तुति...... रचना थोड़ी लम्बी है पर आपने प्रवाह कहीं ना टूटने दिया....<br />बहुत सुंदर...आभार डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.com