tag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post2053287371577846058..comments2024-01-31T15:59:22.446+05:30Comments on संवेदना संसार: सेलिब्रेशन ऑफ़ डर्टीनेस ..रंजनाhttp://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comBlogger36125tag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-71447618095127469492012-04-05T18:55:45.726+05:302012-04-05T18:55:45.726+05:30स्त्री के देह को बेच कर धन कमाना है बाजार को, उसके...स्त्री के देह को बेच कर धन कमाना है बाजार को, उसके लिये कहानी की मांग, भावनात्मक छल कुछ भी जायज है । <br />आश्चर्य है कि स्त्री यह समझ कर भी नही समझती ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-12759938035944900502012-03-22T11:56:21.631+05:302012-03-22T11:56:21.631+05:30स्त्री स्वयं जबतक अपने आप को केवल शरीर.. और शरीर क...स्त्री स्वयं जबतक अपने आप को केवल शरीर.. और शरीर को, धनार्जन का साधन नहीं मानेगी , मजाल नहीं कि कोई पुरुष उसे इसके लिए बाध्य कर सकेगा..<br />ekdam sahi kahna hai aapka.....mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-85819607969354578822012-03-12T07:30:18.386+05:302012-03-12T07:30:18.386+05:30आवश्यकता साक्षर भर होने की नहीं बल्कि सही मायने मे...आवश्यकता साक्षर भर होने की नहीं बल्कि सही मायने में शिक्षित होने की है<br /><br />सही हैKajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-82500517610989283272012-03-08T21:25:51.835+05:302012-03-08T21:25:51.835+05:30… और हां, 'महिला दिवस' की भी शुभकामनाएं स्...… और हां, 'महिला दिवस' की भी शुभकामनाएं स्वीकार करें …Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-81641451223615530712012-03-08T21:23:29.368+05:302012-03-08T21:23:29.368+05:30.
आदरणीया रंजना जी,
सादर नमन !
बहुत सुंदर काव्य ....<br /><br />आदरणीया रंजना जी, <br />सादर नमन !<br />बहुत सुंदर काव्य रचना आपने पिछली पोस्ट में दी थी … आभार !<br />यह आलेख भी मननयोग्य सार्थक और उपयोगी है । साधुवाद !<br /><br />होली के लिए मेरी ओर से भी मंगलकामनाएं स्वीकार करें<br /><br />**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥<br />~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~<br />****************************************************<br /><b><i>♥ होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार ! ♥<br />♥ मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !! ♥</i></b> <br /><b> </b><br /><b> </b><br /> आपको सपरिवार <br /><b> होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ! </b> <br />- राजेन्द्र स्वर्णकार <br />****************************************************<br />~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~<br />**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-14577730187564354972012-02-22T21:29:06.620+05:302012-02-22T21:29:06.620+05:30कहाँ है आप रंजना जी.
आपके कुशल मंगल की कामना करता...कहाँ है आप रंजना जी.<br />आपके कुशल मंगल की कामना करता हूँ.<br />काफी दिनों से आपको मिस कर रहा हूँ.<br />समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-64353623610663764382012-02-18T08:21:19.146+05:302012-02-18T08:21:19.146+05:30लम्बे चिंतन से उपजी यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी क...लम्बे चिंतन से उपजी यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी क्योंकि जिन मूल्यों के साथ हम बड़े हुए उनका इस कदर कत्ले आम होना देख आत्मा रो रही है. हमने तो देखना ही बंद का दिया है. आपके ब्लॉग पर कई दिनों से नहीं आ सका क्योंकि लिंक उपलब्ध नहीं हो रही थी. क्षमा.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-34730104361796886412012-02-06T21:36:49.679+05:302012-02-06T21:36:49.679+05:30बहुत ही बेहतरीन लेख... सुन्दर प्रस्तुति.
पुरवईया :...बहुत ही बेहतरीन लेख... सुन्दर प्रस्तुति.<br /><a href="http://purvaeeya.blogspot.in/2012/02/blog-post.html" rel="nofollow">पुरवईया : आपन देश के बयार</a>उपेन्द्र नाथhttps://www.blogger.com/profile/07603216151835286501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-20838129856747447062012-02-05T22:17:31.243+05:302012-02-05T22:17:31.243+05:30Ranjna ji
bahut gahra vishleshan kar gayee hain a...Ranjna ji <br />bahut gahra vishleshan kar gayee hain aap.Hari Shanker Rarhihttps://www.blogger.com/profile/10186563651386956055noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-87768580164148131512012-02-05T16:25:53.043+05:302012-02-05T16:25:53.043+05:30बाजारवाद के जाल में फंसकर स्त्री अपनी भूमिका और शक...बाजारवाद के जाल में फंसकर स्त्री अपनी भूमिका और शक्ति भूल गई है। आज उसे महज सेक्स सिंबल बना दिया गया है। यही कारण है कि हर जगह उसे परोसा जा रहा है। पता नहीं वह किस भ्रम में फंसी है अपनी ही इज्जत अपने ही हाथों से लुटा रही है। चलो शुक्र है स्त्रियों की ओर से ही स्त्री स्वतंत्रता के नाम पर हो रहे कुछ तो भी काले-पीले पर बहस शुरू तो हुई है। मेरी अगली पोस्ट का विषय भी यही है।लोकेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-36325882384903615702012-01-31T22:16:19.751+05:302012-01-31T22:16:19.751+05:30पूर्णत सहमत हूँ आपकी बात से।पूर्णत सहमत हूँ आपकी बात से।Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-76902374291499110982012-01-25T22:34:12.679+05:302012-01-25T22:34:12.679+05:30मैं शुरु से इस बात का विरोध करता रहा, और विरोध झेल...मैं शुरु से इस बात का विरोध करता रहा, और विरोध झेलता रहा तो मुझे लगा कि हो सकता है मेरे विचार दकियानुसी हों। आज एक महिला द्वारा इस विषय पर लिखा गया तो पढ़कर आंतरिक खुशी हुई।<br /><br />मैं तो इतना ही कह सकता हूं कि इस विषय को कलात्मक ढ़ंग से भी दिखाया जा सकता था, इसके लिए इतनी फुहड़ता और भौंडा प्रदर्शन से बचा जा सकता था।<br /><br />पर अंत में जब पैसा कमाना उद्देश्य हो तो सब चलता है ही जवाब मिलेगा। अब तो मंच पर भी सरे आम इस तरह का प्रदर्शन कर तालियां और वाह वाही बटोरी जा रही है, ईनाम भी।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-27609786982591669132012-01-25T05:30:11.722+05:302012-01-25T05:30:11.722+05:30.लेकिन यह अपार सामर्थ्य संपन्न नवजागृत समूह जिस प्....लेकिन यह अपार सामर्थ्य संपन्न नवजागृत समूह जिस प्रकार दिग्भ्रमित हो रहा है, असह्य दुखदायी है यह..इतने लम्बे संघर्ष के उपरांत प्राप्त अवसर को एक बार पुनः स्वयं को उत्पाद और वस्तु रूप में स्थापित कर स्त्री क्या कर रही है ?? इस पेंच को वह क्यों नहीं समझ पा रही कि बोल्डनेस कह जिस नग्नता को महिमामंडित किया जा रहा है,वह पूरा उपक्रम उसे मनुष्य से पुनः उपभोग की एक सुन्दर वस्तु बनाने का षड़यंत्र है.. व्यभिचार को आचार ठहरा उसका मानसिक विकास का आधार नहीं तैयार हो रहा बल्कि उसके शारीरिक शोषण का बाज़ार तैयार हो रहा..<br /><br />सटीक एकदम सटीक रंजनाजी ......... सधे शब्दों कड़वे सच को उतार दिया ....... शब्दशः सहमति आपसे डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-43956931664958192932012-01-24T21:48:24.358+05:302012-01-24T21:48:24.358+05:30बहुत अच्छा विषय उठाया है आपने. आपके लेख की मूल भाव...बहुत अच्छा विषय उठाया है आपने. आपके लेख की मूल भावना और उसके इस निचोड़ से अक्षरशः सहमत हूँ<br /><br />"आवश्यकता साक्षर भर होने की नहीं बल्कि सही मायने में शिक्षित होने की है, विवेक को जगाने और आत्मोत्थान की है.स्त्री स्वयं जबतक अपने को केवल शरीर और शरीर को धनार्जन का साधन न समझे तो मजाल नहीं कि कोई पुरुष उसे इसके लिए बाध्य कर सके.."<br /><br />जहाँ तक उस फिल्म का सवाल है तो वो मैंने नहीं देखी पर अभिनेत्री विद्या बालन की अन्य फिल्मों को देखते हुए उनके बारे में इतना जरूर कह सकता हूँ कि उन्होंने वो किरदार पूरी ईमानदारी से निभाया होगा क्यूँकि उनकी छवि देह प्रदर्शन की रैट रेस में शामिल तारिकाओं से अलग है।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-44377207276731114062012-01-24T13:24:43.504+05:302012-01-24T13:24:43.504+05:30आपके विचारों से सहमत हूँ ... असली जागरूकता सही शिक...आपके विचारों से सहमत हूँ ... असली जागरूकता सही शिक्षा से आनी है ... आज के भौतिक युग ने नारी की व्यंजन बना के पेश किया है और नारी खुद भी इसका शिकार हो रही है अनजाने ही ... <br />सिल्क स्मिता तो बस एक बहाना था बाज़ार के लिए ... कोई विशेष चरित्र नहीं था जिस पे फिल्म बनाई जा सके हाँ जिस्म दिखाने के काबिल चरित्र जरूर था जिसका उपयोग किया गया ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-34225747586895700612012-01-24T10:50:27.986+05:302012-01-24T10:50:27.986+05:30जागरूकता का संदेश देता प्रेरक आलेख। धन्यवाद।जागरूकता का संदेश देता प्रेरक आलेख। धन्यवाद।Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-62702134463409761642012-01-24T10:33:01.086+05:302012-01-24T10:33:01.086+05:30"बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा"
स्त्र..."बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा" <br /><br />स्त्री स्वयं जबतक अपने को केवल शरीर और शरीर को धनार्जन का साधन न समझे तो मजाल नहीं कि कोई पुरुष उसे इसके लिए बाध्य कर सके..<br /><br /><br />कहते है जहाँ तक हमारी समझ जाती है बस वहीँ तक जिंदगी जाती है ..काश इनकी समझ कुछ और आगे गयी होती ...आप तो पथप्रदर्शक है इस समाज के लिए बस इस रौशनी को यूँ ही जलाये रखें ..निर्झर'नीरhttps://www.blogger.com/profile/16846440327325263080noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-31357534423810237692012-01-24T09:20:39.411+05:302012-01-24T09:20:39.411+05:30धनलोलुपता और भौतिकतावाद हमारी संस्कृति को तार-तार ...धनलोलुपता और भौतिकतावाद हमारी संस्कृति को तार-तार कर रहे हैं।<br />जागरूकता का संदेश देता प्रेरक आलेख।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-6103439407430705882012-01-24T08:17:52.955+05:302012-01-24T08:17:52.955+05:30जिस क्षेत्र से संबंधित उत्पाद बेचने की आवश्यकता पड...जिस क्षेत्र से संबंधित उत्पाद बेचने की आवश्यकता पड़ने लगती है, उसका महिमामंडन प्रारम्भ हो जाता है। पता नहीं देश को सिल्क स्मिता के जीवन में कौन से आदर्शों का पुलिंदा मिल गया, जिस जीवन से वह स्वयं क्षुब्ध हो उसका महिमामंडन।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-55070520700772912202012-01-24T02:35:47.275+05:302012-01-24T02:35:47.275+05:30फिल्म नहीं देखा अब तक, आपके विचारों से सहमत हूँ. ल...फिल्म नहीं देखा अब तक, आपके विचारों से सहमत हूँ. लेकिन मुझे लोग अक्सर पिछली पीढ़ी की सोच का भी कहते हैं :)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-76074943180638377572012-01-24T00:31:26.688+05:302012-01-24T00:31:26.688+05:30"बोल्डनेस कह जिस नग्नता को महिमामंडित किया जा..."बोल्डनेस कह जिस नग्नता को महिमामंडित किया जा रहा है,वह पूरा उपक्रम उसे मनुष्य से पुनः उपभोग की एक सुन्दर वस्तु बनाने का षड़यंत्र है.. व्यभिचार को आचार ठहरा उसका मानसिक विकास का आधार नहीं तैयार हो रहा बल्कि उसके शारीरिक शोषण का बाज़ार तैयार हो रहा"<br /><br />बिलकुल सही ,मै आपके द्वारा व्यक्त विचारों से पूर्णता सहमत हूँ. विचारणीय सार्थक प्रस्तुतिvikram7https://www.blogger.com/profile/06934659997126288946noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-50057444303020801972012-01-23T21:45:48.822+05:302012-01-23T21:45:48.822+05:30किसी भी फिल्म कलात्मक और अश्लील पक्ष मात्र देखने व...किसी भी फिल्म कलात्मक और अश्लील पक्ष मात्र देखने वाले की निगाह पर निर्भर करता है; मेरे ख्याल से; पर जहाँ तक इस फिल्म की बात है - तो नायिका के जीवन का खालीपन - फिल्म के अश्श्लील पक्ष पर ज्यादा भारी रहा है.दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-70403090887685666412012-01-23T21:19:15.230+05:302012-01-23T21:19:15.230+05:30रंजना जी आपकी पीडा हर विचारशील व्यक्ति की पीडा है ...रंजना जी आपकी पीडा हर विचारशील व्यक्ति की पीडा है । टी.वी. ,सिनेमा,अखबार और अधिकांश पत्र-पत्रिकाओं में भी ,जो प्रचार-प्रसार का माध्यम हैं और जीवन शैली के निर्धारक भी ,ऐसे लोगों का बाहुल्य है जो चर्चित होने में विश्वास रखते हैं चाहे मूल्य बेच कर ही सही । यही महेश जी कभी सारांश या डैडी बनाया करते थे अब मर्डर पर उतर आए हैं । बहुत ही व्यापक और विचारणीय विषय है । इस असन्तोष की अभिव्यक्ति एक सार्थक पहल है । जो होती रहनी चाहिये ।गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-84724896845380143502012-01-23T21:17:00.211+05:302012-01-23T21:17:00.211+05:30सार्थक चिंतन. बधाई.सार्थक चिंतन. बधाई.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3630123509017373846.post-62594190152778399132012-01-23T20:44:59.490+05:302012-01-23T20:44:59.490+05:30आपका चिंतन गहन और विचारोत्तेजक है।बात सस्कृति के ...आपका चिंतन गहन और विचारोत्तेजक है।बात सस्कृति के उत्थान और पतन की है, आज यही है हमारी संस्कृति विदेशों से आयातित.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/18094849037409298228noreply@blogger.com