29.8.08

व्यंगकार शिव कुमार मिश्रा का एक और रूप.कृपया अवश्य देखें.

ब्लोगिंग की दुनिया में " शिव कुमार मिश्रा " एक परिचित ही नही प्रसिद्द नाम है और ये किसी परिचय के मुहताज नही.सो इनके परिचय में बहुत कुछ कहना बेमानी है.अपनी तीखी व्यंग्य शैली से गंभीर मुद्दों को सदा ही पाठक के मन मस्तिष्क पर अंकित करने में सफल रहे हैं.हंसा हंसा कर ऐसे चिकोटी काटते हैं कि आँखें भर आती हैं..मुझे उम्मीद है कि इसी तरह लिखते रहे तो कुछ ही समय में शीर्ष के व्यंगकारों में अपना स्थायी स्थान बना लेंगे.अभी कुछ समय पहले कुश जी की " कॉफी चर्चा " तथा "बाकलम ख़ुद " के माद्यम से उनके विषय में बहुत कुछ जानने को मिला पर शिव ने अपनी व्यंगकार की जो छवि बना रखी है,उस से बहार निकलने में बहुत बुरी तरह झिझकने लगे हैं. जबकि मैं लगभग ४-५ महीनो से इस प्रयास में लगी हुई हूँ कि अपने अन्य गंभीर लेखन को भी वे प्रकाशित (ब्लॉग पोस्ट में)किया करें. उनके गंभीर लेखन के पाठक बहुत ही कम लोग हैं और उसमे से एक खुशकिस्मत मैं भी हूँ.दूसरों की शैली में जब वे इतनी अच्छी कवितायें लिख लेते हैं तो अपनी स्वयं की शैली में कैसा लिख पाते होंगे इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है.पर जब भी उन्हें इन सामग्रियों के प्रकाशन हेतु कहती हूँ तो उनका कहना होता है कि यदि यह सब पोस्ट करूँगा तो लोग हंसने लगेंगे और कहेंगे कि शिव की तबियत तो ख़राब नही हो गई.अब मेरे कहने से तो सुन नही रहे ,सो मेरा सभी माननीय ब्लागरों से अनुरोध है कि शिव से इस हेतु आग्रह करें.कल मुझे उन्होंने अपनी एक पाँच मिंटी कविता एस एम् एस से भेजी थी,बिना उसकी अनुमति के मैं वह यहाँ प्रकाशित कर रही हूँ.आप गुनीजन ही देखकर बताएं कि मेरा उस से यह अनुरोध ग़लत है या सही ?


तंज हैं विचारों में,
हाथ के इशारों में,
तंज मुंह की बोली में,
तंज हर ठिठोली में....

तंज है अदाओं में,
तंज आपदाओं में,
तंज दिखे सपनो में,
तंज सारे अपनों में....

तंज पूरी दुनिया में,
तंज नन्ही मुनिया में,
तंज झलके भाषा में,
नज़र भरी आशा में....

तंज सब आवाजों में,
तंज है परवाजों में,
तंज पर ही रीते हैं,
तंज लिए जीते हैं....

तंज है उड़ानों में,
तंज आसमानों में,
तंज भरा रंगों में,
थिरक रहे अंगों में....

तंज बहुत तंग करे,
जीवन से रंग हरे,
तंज छोड़ कभी-कभी,
हम उसको दंग करें....

एक दुआ दिल से है,
तंज हमें छोड़ जाए,
जो बिखरे दिखते हैं,
प्यार उन्हें जोड़ जाए.....


यदि आपको यह अच्छा लेगे तो मेरा आग्रह है कि शिवजी को अवश्य प्रोत्साहित करें.

19 comments:

अफ़लातून said...

शिवजी ढेर सारा एस एम एस किया करें ।

पारुल "पुखराज" said...

...shiv ji ek kitaab humey bhi.....ranjana di,aapka shukriyaa

सूरज प्रकाश का रचना संसार said...

शिव को भला अज्ञातवास में रहने की क्‍या जरूरत
जरा सामने तो आओ छलिये

travel30 said...

Shiv ji to master hai . har kala ke gyani

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मेरी पहली कविता...... अधूरा प्रयास

कुश said...

अजी वो कहते है ना की पारस पत्थर जिसे छू ले वो सोना हो जाए... अपने शिव जी भी बस कुछ वैसे ही है.. इल्म तो इस बात का है की ये एस एम एस हमे नही मिला.. आपका ये रूप भी बहुत बढ़िया है.. लेखन में विविधताए तो होनी ही चाहिए.. अन्यथा आदमी खुद का ही कैरिकेचर हो जाता है..

शिव जी को इस प्रयास के लिए अभूत बधाई.. और आप को ढेर सारा धन्यवाद रंजना जी.. आपने जौहरी का काम बखूबी निभाया..

रंजू भाटिया said...

हमने माना की शिव जी जैसा कोई नहीं :) लिखते रहे ..ब्लॉग पर :)

संजय बेंगाणी said...

जय जय शिव शंकर...

दिनेशराय द्विवेदी said...

कविता सुंदर है मगर यहाँ भी तंज ही तंज है।

डा. अमर कुमार said...

.










और मेरे रंज का क्या होगा ?
रंज ग़र रंजना से भी न शेयर करूँ,
तो किससे करूँ ?

इन ज़ेन्टलमैन भाई साहब ने मेरा
एस.एम.एस. रंजना बहन को टिका दिया ।

शैलेश भारतवासी said...

अफलातून जी ने ठीक कहा

डॉ .अनुराग said...

लो....... ई जेंटलमेन तो कवि निकला.......

Gyan Dutt Pandey said...

मुझे अपने भाई पर गर्व है।

Udan Tashtari said...

उनकी लिख्खाड़ी के चर्चे हर तरफ गुँजायमान हैं और हम गौरवान्वित!!

धन्यवाद रंजना जी!!

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

रँजना जी,
आपने अच्छा किया जो शिव भाई की कविता यहाँ प्रस्तुत कर दी !
कविता अच्छी है ! शिव भाई आप आगे से आपके ब्लोग पे भी पोस्ट कीजियेगा - without hesitation.-

- लावण्या

बाल भवन जबलपुर said...

तंज है उड़ानों में,
तंज आसमानों में,
तंज भरा रंगों में,
थिरक रहे अंगों में....
ise kahaen hain lay
BADHAI

अनूप शुक्ल said...

शिव बाबू कविता भी लिखने लगे! अब क्या किया जा सकता है। अच्छा है लिखें! झेलेंगे इस रूप को भी।

admin said...

तंज से दिल मेरा भर आया
हाए, मैं यहाँ क्यों आया?
ह-ह-हा।
अच्छी कविता है, बधाई।

प्रदीप मानोरिया said...

एक दुआ दिल से है,
तंज हमें छोड़ जाए,
जो बिखरे दिखते हैं,
प्यार उन्हें जोड़ जाए
सुंदर भावाभिव्यक्ति बधाई
थोडा समय निकालें मेरे ब्लॉग पर पुन: पधारें

अजित वडनेरकर said...

शिवजी की प्रतिभा जबर्दस्त है...