27.9.10

आन बसो हिय मेरे.....

प्रभुजी प्यारे ,

आन बसो हिय मेरे...


साँसों से मैं डगर बुहारूँ,
नैनन जल से पाँव पखारूँ,
चुन चुन भाव के मूंगे मोती,
हार तुझे पहनाऊं ...
हे स्वामी प्यारे,
आन बसो हिय मेरे...


लाख चौरासी योनि भटका,
मानुस तन को ये मन तरसा,
तब ही जीव पाए यह काया ,
जब तूने उसे परसा ...
ओ ठाकुर न्यारे,
ना छोडो कर मेरे....
प्रभुजी प्यारे,
आन बसो हिय मेरे...


तू न बसे जो ह्रदय हमारे,
मोह गर्त से कौन उबारे,
पञ्च व्याधि ले डोरी फंदा,
बैठा सांझ सकारे ...
ओ पालन हारे,
त्रिताप हरो हमारे ....
प्रभुजी प्यारे,
आन बसो हिय मेरे...


..........

46 comments:

निर्झर'नीर said...

इतना प्यारा भक्ति गीत
मन भाव-विभोर हो गया

साँसों से मैं डगर बुहारूँ,
नैनन जल से पाँव पखारूँ,
चुन चुन भाव के मूंगे मोती,
हार तुझे पहनाऊं ...
हे स्वामी प्यारे,
आन बसो हिय मेरे...

आपका गद्ध ही नहीं काव्य भी श्रेष्ठ है

रंजू भाटिया said...

वाह बहुत ही पसंद aaya yah geet isko apna swar bhi de sunane mein aur bhi bahdiya lagega yah

Apanatva said...

BHAKTIMAY BHAKTIGEET AUR SEVA KE BHAV BAHUT HEE SUNDER ...........
AABHAR

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

सुंदर कृति के लिए बधाई स्वीकारें॥

राज भाटिय़ा said...

अजी आप का गीत तो हमे आरती समान लगा, बहुत सुंदर, बार बार पढने को मन कर रहा है, धन्यवाद

Sunil Kumar said...

सुंदर गीत बधाई

निर्मला कपिला said...

बहुत सुन्दर भक्ति गीत। बधाई।

प्रवीण पाण्डेय said...

भक्ति शब्द धर उतर आयी है।

डॉ. मोनिका शर्मा said...

भाव विभोर कर देने वाला भक्ति गीत है.... मन आनंदित हो गया... बहुत ही सुंदर

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

हमरे जईसा नास्तिक अऊर पूजा पाठ नहीं करने वाला के मन में आपका भक्ति गीत एक सर्वसक्तिमान के प्रति नत होने को प्रेरित करता है..बहुत सुंदर!!

Abhishek Ojha said...

इसे गाकर डालिए, ऐसे नहीं चलेगा.

संगीता पुरी said...

संताप हरो सब मेरे....
प्रभुजी प्यारे,
आन बसो हिय मेरे...

बहुत सुंदर भक्तिगीत !!

Manish Kumar said...

आज भक्ति का रंग ! इस वंदना को आपकी आवाज़ मिल जाती तो प्रभाव दूना हो जाता..

वीना श्रीवास्तव said...

बहुत सुंदर भक्ति गीत

पारुल "पुखराज" said...

DI,

ise sunaiye bhi..

शिवम् मिश्रा said...


बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !

आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।

आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

Wah wah….khoobsoorat prastuti…!

Kusum Thakur said...

सच रंजना का वंदना बहुत पसंद आया .

vandana gupta said...

बेहद सुन्दर भक्तिगीत्…………………भावविभोर कर दिया।

ZEAL said...

.

बहुत सुन्दर गीत।---बधाई।

दिगम्बर नासवा said...

इतने पावन भाव और सुंदर शब्दों का चयन किया है .... पूरी रचना बहुत पावस हो गयी है ....
प्रभु का सिमरन ...
पूर्ण समर्पण ....
अपना तन मन धन सब अर्पण ...

आभार इस सुंदर कृति के लिए ......

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर भजन है!
--
हम तो भक्तिरस में नहा गये हैं!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर भजन है!
--
हम तो भक्तिरस में नहा गये हैं!

शरद कोकास said...

इस भजन का सस्वर गयन और अच्छा लगेगा ।

मौन said...

achha bakti geet
sadhuvad

apne mera geet pasand kiya, dhanyavad

rohit g.r.
rohitkalyaan@gmail.com

मौन said...

achha bakti geet
sadhuvad

apne mera geet pasand kiya, dhanyavad

rohit g.r.
rohitkalyaan@gmail.com

देवेन्द्र पाण्डेय said...

सुंदर भजन...इसे तो सश्वर सुनने में अधिक आनंद आता।

राजभाषा हिंदी said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
काव्य प्रयोजन (भाग-१०), मार्क्सवादी चिंतन, मनोज कुमार की प्रस्तुति, राजभाषा हिन्दी पर, पधारें

Shiv said...

रचना में अद्भुत भक्ति-भाव है. मेरी भी डिमांड है कि इसे गाकर सुनाया जाय.

Smart Indian said...

बहुत सुन्दर!

मनोज कुमार said...

जिंदगी के कई शेड्स इस कविता में ऐसी काव्‍यभाषा में संभव हुए हैं, जो आज लगभग विरल हो चुकी है। विवाद से परे भी यह कहना उचित होगा कि आप आज के समय का समर्थ कवयित्री हैं। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
चक्रव्यूह से आगे, आंच पर अनुपमा पाठक की कविता की समीक्षा, आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!

विवेक सिंह said...

सच्ची श्रद्धा होना जीवन में बहुत बड़ा वरदान है ।

Anonymous said...

bahut hi sundar rachna...badhai....

Mumukshh Ki Rachanain said...

अति प्यारा, सुन्दर, सुमधुर भक्ति गीत कि इस रचना पर निःसंदेह आप बधाई कि पात्र हैं.
हमारी हार्दिक बधाई स्वीकार करें.

चन्द्र मोहन गुप्त

BrijmohanShrivastava said...

नैनन जल से पांव पखारुं ’’अंसुअन जल सींच सींच प्रेम बेल बोई ’’वो तो भाव का भूखा है इसलिये भाव के मूंगे मोती ,पंच व्याधि डोरी और फंदा लिये तैयार बैठा है इसलिये तीनो तापों के हरने की प्रार्थना दैहिक,दैविक, भौतिक ।कोई श्लोक कोई कथा बांचना जरुरी नहीं बस यही भजन सुवह शाम प्रार्थना के लिये , आनंद दायक ।

श्यामल सुमन said...

अत्यन्त सुन्दर और भावपूर्ण रचना बहन रंजना। अभी उदय प्रताप हयात भी इसे पढ़कर और तारीफ कर के गए हैं। शुभकामनाएं।

सादर
श्यामल सुमन
www.manoramsuman.blogspot.com

योगेन्द्र मौदगिल said...

wahwa....achhi rachna...sadhuwad..

Pushpendra Singh "Pushp" said...

bhajan baht hi khubsurat hai
abhar

Alpana Verma said...

बहुत ही प्यारा भाव गीत है.
आपने तो संगीत सिखा हुआ है,कभी अपने स्वर में भी सुना दिजीये.

ललितमोहन त्रिवेदी said...

रंजना जी , सामाजिक सरोकार से सम्बद्द्ध आपका लेखन प्रभावित करता है परन्तु गहरे डूबकर लिखा गया यह समर्पण गीत मन को बरबस ही छू जाता है और आपका एक नया रूप ही सामने लाता है ! संवेदना के इस धरातल को बचाकर रखियेगा ताकि हमें और मधुर गीत पढ़ने को मिले सकें !

sandhyagupta said...

दशहरा की ढेर सारी शुभकामनाएँ!!

ZEAL said...

मधुर गीत !

शोभा said...

तू न बसे जो ह्रदय हमारे,
मोह गर्त से कौन उबारे,
पञ्च व्याधि ले डोरी फंदा,
बैठा सांझ सकारे ...
ओ पालन हारे,
त्रिताप हरो हमारे ....
प्रभुजी प्यारे,
आन बसो हिय मेरे...
वाह बहुत सुन्दर ।

Asha Joglekar said...

तू न बसे जो ह्रदय हमारे,
मोह गर्त से कौन उबारे,
पञ्च व्याधि ले डोरी फंदा,
बैठा सांझ सकारे ...
BAHUT DINO BAD AAEE AAPKE BLOG PAR AUR ITANI SUNDER BHAW WIBHOR KAR DENE WALI RACHNA pADHANE KO MILEE.

BrijmohanShrivastava said...

तोरई एक सब्ज़ी है। इसका वानस्पतिक नाम लूफा सिलिन्ड्रिका है। तोरई एक विशेष महत्व वाली सब्ज़ी है। यह रोगी लोगों के लिए अत्यन्त लाभदयक होती है। इसकी खेती सम्पूर्ण भारत में की जाती है। सब्ज़ी के अलावा इसके सूखे हुए रेशे को बर्तन साफ करने, जूते के तलवे तथा उद्योगों मे फिल्टर के रूप में प्रयोग किया जाता है What do we call gilki a green tender vegetable in English and can anyone tell the procedure to make dish of this vegetable
English word for gilki is stuffed sponge gaurd. I like "bhajias" of gilki, its very very tasty. You can make sabji too. Take oil in a pan, put some Cumin Seeds and once they are brown put the stuffing filled gourd pieces one by one in the pan. Put a lid and let it cook until the skin of the vegetable is soft

Rajeysha said...

Prabhu ji! tumko nahi bisaaru, bhor, dopahri, sanjh ki raina, tohri baat nihaaru...