18.9.12

दीपुआ का बनेगा..?

मास्साब- अरे गोपिया, ई त बता, के रबरी देबी, राहुल गांधी, मधु कोड़ा औ मनमोहन सिंह, ई सबमे एगो कौमन आ मेन फेक्टर का है ??


 गोपिया - मास्साब, सबके सब गोबर हैं..उहो गाय के नै गदहा के, न लीपे जोग, न पोते जोग..


मास्साब - अबे मरवायगा का.. धीरे बोल ससुरे..

चल इधर तो आ, आ इधर, खा सोंटा..ससुर, इहे सिखाये थे..??
अबे, ई कुल महान भाग्यशाली लोग, महान राजनेता और शासक हुए हैं भारत में देश औ प्रदेस के..
 
अच्छा चल, ई बता के सोनियां गन्धी कौन हैं..?
 
गोपिया- सोनियां अंधी..!!!!
 
मास्साब - अंधी नहीं बे, गन्धी ..
 
गोपिया - लेकिन माई तो कहती है के "सोनियां अंधी है", उको देस, देस के वासी, उनका दुःख दर्द कुच्छो देखाई नहीं देता " त हम सोचे कि उका नाम इहे होगा..
 
मास्साब - अबे माई के बच्चा..जानता है तू ,ऊ केतना बड़ी हस्ती हैं, पूरा भारत उनकै मुट्ठी में है, उप्पर से निच्चे तक सबकुछ.. माता हैं ऊ, माता..देस की माता, महान त्यागमयी माता, सबसे बड़ी माता..
 
 
गोपिया - भारत माता से भी बड़ी...??
 
मास्साब - औ का, सबसे बड़ी माता..ससुर, आदर से नाम ले उनका....ई बात तू भी समझ ले औ अपनी माई के जाके भी समझा देना..
 
गोपिया- ठीक मास्साब, समझ गए, अब आगे से नै होगा गलती..
 
मास्साब - बहुत बढ़िया, सब्बास !!!

 
अच्छा कालू , अब तू बता के महत्मा गांधी कौन थे..??
 
कालू - महत्मा गांधी.......ऊँ...ऊँ .....?????
 
मास्साब - अबे ऊँ ऊँ क्या करता है गदहा ...महत्मा गंधी को नै जनता है..??
ससुर तू लोग ले के रहेगा हमरी नौकरी. कल बीडीओ, सीओ, डीओ, सब का फौज के साथ जब सिक्षा मंत्री आयेंगे, तो इहे सब जबाब देगा..एतना दिन से तुम लोग को सुग्गा जैसे रटा रहे हैं, दिमाग के पटपट सब, इहै परफोर्मेंस देखायगा ..??
 
गोपिया - मास्साब, मास्साब, एका उत्तर हम बताएं ,हम बताएं...?
 
मास्साब - चल सब्बास बेटा, तू ही बता..
 
गोपिया - महात्मा गंधी थे, देस के बाप...
 
मास्साब - कर दिया न गोबर..अबे देस के बाप नै कहते हैं, कहते हैं "राष्ट्र पिता", माने पूरा राष्ट्र के पिता..
 
दीपुआ - लेकिन मास्साब, फरीद्वा त कहता रहा कि महत्मा गंधी खाली नेहरुए के बाप रहे..
 
मास्साब - कौन फरीद्वा..?? कब कहा, केकरा से कहा..??
 
दीपुआ- मोड पर जो ऊ दर्जीया बैठता है न मास्साब , उहे फरीद्वा.. कल जब हम बापू का पैंट मरम्ती को देवे उके पास गए रहे न, तो पंडीजी भी वहीँ रहे, उनके से फरीद्वा कह रहा था. औ साथे ई भी कह रहा था कि अपना ई पोसुआ दुनम्बरी पूत के परधान बने के जिद के आगे गांधी बाबा न झुक्के रहते आ अंग्रेजन के देस के बांटे वाला साजिस तोड़ दिए रहते , त कुल होता ई सब - दंगा फसाद ,खूनम खून, घिरना, भरम...औ आज भी कांगरेसिए सब के लगावल ऊ आग में हम सब जल रहे हैं.उनका बारिस सब आजौ ई आग को पूरा से पोसे हुए हैं, जालिम कहियो बुझने नै देंगे घिरना के ई आग..
 
मास्साब - चोप्प्प .....!!!! एकदम साइलेंट !!!! सब गलत बात...एकदम गलत बात.. सब फालतू बात बोलता है सब... खबरदार जे आगे से ऐसा बात कहीं सूना आ दुबारा अपना मुंह से कहीं ऊ सब उगिला तो, आगे कभी हम सुने तो चमडिया उधेड़ देंगे तुम सब का..
 
कल मंत्री जी के सामने इहे सब बोलेगा तू लोग...?? नलायक !!!! हमरा, अपना औ ई इस्कूल का, सबका नाक कट्वावेगा रे ..?? सबका सब लफंदर हो गया है तू लोग..
 
अच्छा कमला, तू बता, अपना देश का राष्ट्र गान के लिखे हैं ??
 
कमला - महाकवि श्री रबिन्द्र नाथ टैगोर जी लिखे हैं ..
 
मास्साब - वाह .. बहुत बढ़िया, गुड गर्ल ...
 
अच्छा अब ई त बता, के राष्ट्र गान में कै गो नदी, पहाड़ औ प्रदेस का नाम है..?
 
कमला - आठ गो प्रदेस माने कि राज्य, दू गो पहाड़ और दू गो नदी...
 
मास्साब - वाह ...देखो त, केतना होनहार औ तेज बच्ची है..भेरी गुड बेटा, भेरी गुड...
 
गोपिया - लेकिन मास्साब.. ऐसे आधा अधूरा नाम सब काहे है गीत में..?? अब पूरा राष्ट्र का गीत है, त इमे ऐसे आधा अधूरा नाम सब नै न होया चाहिए...ऊ पर भी देखिये, "सिंध" त अब अपने देस में हइये नै, ई है अब पकिस्तान में, त राष्ट्रगीत में ई एतना बरस से सिंध सिंध काहे घोसा रहा है..चाहे त सिंध के पाकिस्तान से लै के गीत सही किया जाए आ न त गीते बदल के कौनो एकूरेट राष्ट्र गीत बनाया आ गया जाए , तबै न ई कुल ठीक रहेगा..
 
मास्साब - हम देख रहे हैं तुमको, देख रहे हैं...बडका तेज बन गया है तू...बात बात में बहस करता है..हाथ गोड़ तोड़ के धर देंगे तोरा, कहे दे रहे हैं ...कल मंतरी जी के भिजिट बाला मामला नै रहता त अभिये तुमको सबक सिखा देते बच्चू...
 
गधऊ ,जानता है, राष्ट्र गीत हो या संसद सत्ता से जुड़ा कोई भी बात, उसपर ओंगली उठाने से राजद्रोह का अपराध माना जाता है, भयंकर अपराध..बेटा, बाप बेटा मिल चक्की पीसते रह जाओगे जिनगी भर जेल में..
 
अरे दीपुआ, कल तू इहाँ अगिला बैंच पर बैठिहो, औ जे किसी से भी अंगरेजी में कोई सवाल पूछा जाए, त धड से लपक लियो सवाल औ धड से दे दियौ जवाब, समझे कि नहीं..नै त औ कोइयो के मुंह खोले के नौबत से दू मिनट में इस्कूल के इज्जत का कचड़ा बन जायेगा..
 
दीपुआ- ठीक मास्साब ..
 
मास्साब - अच्छा चल बता - ह्वाट इज योर फादर्स नेम ..?
 
दीपुआ - माई फादर्स नेम इज मिश्टर मोहनदास करम चन्द गाँधी, माने कि महत्मा गांधी..
 
मास्साब - अबे ससुर , महत्मा गाँधी कब से तोहरे बाप हो गए रे ..?
 
दीपुआ - मास्साब अभिये न थोड़े देर पाहिले आप कहे थे कि महत्मा गांधी हम सबके , पूरा राष्ट्र के बाप हैं..
 
मास्साब - हे प्रभु, हे दीनानाथ ..कैसा कैसा चमोकन सबको भर दिए आप हमरा किलास में..अबे ऊ वाला बाप नै..असली बाला बाप..बाप माने कि तोहरे माई के पति..समझे कि नहीं...
 
दीपुआ - ओ, त ऐसा कहिये न .. माई फादर्स नेम इज मिश्टर गजोधर लाल पासवान, साइकिल मकैनिक ...
 
मास्साब - गुड, ऐसेही बोलियों, एकदम कन्फिडेंस के साथ.. आ जो ऊ पूछें कि बेटे बड़े होकर क्या बनना चाहते हो, .. त का कहोगे ..??
 
दीपुआ- आई वांट टू बी ए मिनिस्टर ...मोर बिग, मोर स्ट्रोंग एंड फेमस देन यू
 
मास्साब - वाह ...ई हुआ न बात.. गुड , भेरी भेरी गुड ...ऐसे ही अकड़ के.. फुल कान्फिडेंस से बोलियो बेटा ..ठीक ..जामे उनका आँख फटा रह जाए, अपना गाँव के इस्कूल आ बिदियार्थी का एस्टेंडर देख के..आ अन्ग्रेजिये में सब जबाब दियो बेटा ..
 
अच्छा, जे पूछें कि मिनिस्टरे काहे बनना चाहते हो, का करोगे मिनिस्टर बनके..त का कहोगे..?
 
दीपुआ - मास्साब, ईका जबाब हम हिंदिये में दै दें त चलेगा..? काहेकी एकरा अंगरेजी ट्रांस्लेसन हमको ठीक से नै आता है..
 
मास्साब - कोई बात नै बेटा, तू हिंदिये में कह ,हम अंगरेजी में ट्रांस्लेसन करके तोका दै देंगे, तू ओका रट लियो रात भर में...
 
दीपुआ - हम कहेंगे, हम मंत्री औ आपसे भी बड़का पावरफुल मंत्री एहिलिये बनाना चाहते हैं कि आप सब मिल के जौन तरह से आज देस का गाँ$$$.. मार मार के बरबाद बरबाद किये हुए हैं, हम बड़ा होके मंतरी, परधान मंतरी बन के आप सब का गाँ$$$... में बांस कई के अपना भारत माता के दुर्गती के बदलैया लेंगे आप सब से..सड़ा गला, आधा अधूरा सब हटा के ... देस को सरिया के... एक नया औ सुन्दर भारत बनायेंगे..

 
धडाम .... !!!!!
 
गोपिया - अरे रे... का हुआ मास्साब !!! अरे कमला, बिमला, मनोजवा सकील्वा ..सब दौड़ो रे..पानी लाओ..अबे दीपुआ भाग, बोला के ला प्रिंसपल साहेब के... मास्साब आँख चियार दिए हैं..देख देख खाली बेहोसे हुए हैं कि मर मुर गए..
__________________________________________________________-

36 comments:

अन्तर सोहिल said...

:)

प्रवीण पाण्डेय said...

दीपुआ बस इंसान बन जाये, यही बहुत है।

दीपक बाबा said...

जय हो.

shikha varshney said...

:):).

Anonymous said...

रंजना जी .....मज़ा आ गया ऐसन लगा जैसन कोई फिल्मवा देख रहे हैं....भाषाई पकड़ कमाल की है.....व्यंग्य ज़बरदस्त है और हास्य में लपेट कर मारा है आपने......शानदार लगा ।

देवेन्द्र पाण्डेय said...

बहुत दिनो की खीझ इस बार पूरी तरह उतार ही दी आपने।:)

रचना दीक्षित said...

इतना धारदार व्यंग बहुत समय बाद पढ़ने को मिला. रंजना जी बहुत बहुत बधाई.

Shiv said...

बहुत सही। दीपुआ के उप्पर राजद्रोह का मुकदमा चले त चले बाकी बोलना है उसको एही। देखें त केतना बार बंद करेगा सब।
गुस्सा बहुत जोर फूटा है।

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

रंजू बहिन! अब का बोलें..
एगो टीवी पर बिज्ञापन आता था न.. ओही खेयाल पड़ रहा है..
एकदम लिखकर फाड़ देना एही कहाता है!!

संजय @ मो सम कौन... said...

एक आमजन के मन का क्रोध है ये, दुर्भाग्य ये है कि यह देर तक कायम नहीं रह पाता| राजनैतिक हथकंडे इतने कारगर हैं कि ऐन वक्त पर सब भुला देते हैं|

डॉ. मोनिका शर्मा said...

सच में कितना सटीक ...... काश की दीपुआ कुछ भलमनसाहत के गुण भी ले पाए.....

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

स्पैम में है सायद हमरा टिप्पणी!!

पंकज कुमार झा. said...

चाहे त सिंध के पाकिस्तान से लै के गीत सही किया जाए आ न त गीते बदल के कौनो एकूरेट राष्ट्र गीत बनाया आ गया जाए.... अद्भुत व्यंग्य ...क्या सुन्दर अभिव्यक्ति किया है आपने अपने आक्रोश का ...बहुत सुन्दर ...अद्भुत..आनंद आ गया पढ़ कर....बधाई.

दिगम्बर नासवा said...

जय हो ...
इतने दिनों के बाद आपकी धमाकेदार वापसी हुई है ... करार व्यंग समाज के हालात पे ... मज़ा आ गया ...

सुधाकल्प said...

रंजना जी ,आपकी रचना पढ़ने पर हँसते -हँसते पेट फूल गया |जबरदस्त हास्य और तीखा व्यंग है |

Hari Shanker Rarhi said...

Ranjna ji ,
Likha to aapne bahut badhiya hai. Mazaa aa gayaa. Par aap itne din thein kahan?

Gyan Dutt Pandey said...

मास्टर साहब जब होश में आ जायें तो यह विचार उनको करना चाहिये कि बच्चे गोपिया की, उसकी अम्मा की, फरिदवा की क्यों सुनते हैं, उनकी क्यों नहीं! या फिर बच्चों को इतनी कम उम्र में देश की चौपटियाती दशा का पता कैसे चल रहा है, जबकि उन्होने ऐसा कुछ नहीं बताया! :-(

Avinash Chandra said...

गज़ब एक छोटा शब्द है।

मनोज कुमार said...

देश के हालात पर तीखा व्यंग्य करता यह आलेख हमें बहुत कुछ सोचने पर विवश करता है।

Asha Joglekar said...

वाह रंजना जी एकदम करारा व्यंग । बहुत ही बढिया ।

महेन्‍द्र वर्मा said...

बढ़िया व्यंग्य नाटिका ! मंच पर प्रस्तुत करने लायक।

Smart Indian said...

:)

Rajput said...

बहुत लाजवाब व्यंग . काश नेता लोग समझ पाते जनता का दुःख , मगर उन्हें तो लूटने से ही फुर्सत नहीं.

बहुत अच्छा

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...



✿♥❀♥❁•*¨✿❀❁•*¨✫♥
♥सादर वंदे मातरम् !♥
♥✫¨*•❁❀✿¨*•❁♥❀♥✿


# "सिंध" त अब अपने देस में हइये नै, ई है अब पकिस्तान में,
त राष्ट्रगीत में ई एतना बरस से सिंध सिंध काहे घोसा रहा है..
चाहे त सिंध के पाकिस्तान से लै के गीत सही किया जाए
आ न त गीते बदल के कौनो एकूरेट राष्ट्र गीत बनाया आ गया जाए ,
तबै न ई कुल ठीक रहेगा..

# दुनम्बरी पूत के परधान बने के जिद के आगे गांधी बाबा न झुक्के रहते
आ अंग्रेजन के देस के बांटे वाला साजिस तोड़ दिए रहते ,
त कुल होता ई सब - दंगा फसाद ,खूनम खून, घिरना, भरम...
औ आज भी कांगरेसिए सब के लगावल ऊ आग में हम सब जल रहे हैं.
उनका बारिस सब आजौ ई आग को पूरा से पोसे हुए हैं,

क्या लिखा है !
सौ सौ सलाम !!
सलाम आपकी लेखनी को और आपको !!!

आदरणीया रंजना जी
इस तीखे पैने धारदार सटीक व्यंग्य के आगे कुछ भी कहना सूर्य को दीपक दिखाने समान ही होगा ...

पहले एक बार कमेंट लिखा था , गूगल की किसी समस्या के चलते पब्लिश नहीं हुआ था तब शायद ...

अब नई रचना कब ?

हार्दिक मंगलकामनाएं …
लोहड़ी एवं मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर !

राजेन्द्र स्वर्णकार
✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿

Asha Joglekar said...

Agali post ka intjar.

Dinesh pareek said...

बेहद प्रभाव साली ...


आप मेरे भी ब्लॉग का अनुसरण करे

आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में

तुम मुझ पर ऐतबार करो ।

.

Dinesh pareek said...

बेहद प्रभाव साली ...


आप मेरे भी ब्लॉग का अनुसरण करे

आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में

तुम मुझ पर ऐतबार करो ।

.

iKKyu Kensho Tzu said...

Kya maze ka likha aapne , hans hans ke pagal ho gaya main ....kamal ka tha ye...behtareen,,, enjoyed a lot. thanks

vijay kumar sappatti said...

रंजना जी ,.

बहुत सही .. आज के हालात पर सही व्यंग्य !
पढ़कर ही आनंद आ गया .

दिल से बधाई स्वीकार करे.

विजय कुमार
मेरे कहानी का ब्लॉग है : storiesbyvijay.blogspot.com

मेरी कविताओ का ब्लॉग है : poemsofvijay.blogspot.com

Priyanka said...

हार्दिक बधाई रंजना दीदी,

शब्द नहीं हैं...
बेहद शानदार और आनन्द से भरपूर कटाक्ष|

आपकी लेखनी को नमन दीदी !

Dr ajay yadav said...

आपकी लखनी का जवाब नही दीदी |

BrijmohanShrivastava said...

शुभदीपावली,गोवर्धन पूजन एवं यम व्दितीया श्री चित्रगुप्त जी की पूजन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें स्वीकार करें

ब्लॉग बुलेटिन said...

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन: कोई दूर से आवाज़ दे चले आओ मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

दीपक बाबा said...

दीपुआ जो भी भया ........

इ रंजना मैडम कहाँ चली गयी..

ब्लोगिंग अभी अधूरी है.
जय राम जी की.

रंजना said...

अब आ रही हूँ धीरे धीरे।
आपने इतना खयाल रखा,बड़ा ही अच्छा,,अपनापन लगा।

रंजना said...

अब आ रही हूँ धीरे धीरे।
आपने इतना खयाल रखा,बड़ा ही अच्छा,,अपनापन लगा।