एक और वर्ष बीत रहा
बीत रहे पल छिन संग
हम भी तो बीत रहे
साँसों के जल से भरा,
घट भी तो रीत रहा.
यह वर्ष भी बीत रहा.
जश्न हम मनाएं क्या
गीत नया गायें क्या
संचित अभिलाषा की
कथा अब सुनाएँ क्या
देख दशा अग जग की
मन तो भयभीत खड़ा ,
हौसला है अस्त पस्त
पार कहाँ सूझ रहा.
यह वर्ष भी बीत रहा.
स्मृति की अट्टालिका मे
पल छिन जो ठहरे हैं
अगणित रंगों मे घुले
रंग बड़े गहरे हैं
उसमे गुमसुम से सभी
सपने सुनहरे हैं
पाँव तो हैं ठिठके पर
समय प्रवाह जीत रहा.
यह वर्ष भी बीत रहा.
पर पास खड़ा नया साल
देखो मुस्काता है
मद्धिम सी छेड़ तान
हम को बहलाता है
प्राणों मे फ़िर से वही
आस फ़िर जगाता है
बीता जो लम्हा वह
बीत गया बात गयी
आगे का हर पल तो
तेरा बस तेरा है
जाने दे उस पल को
जो बीत रहा बीत रहा.
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57 comments:
स्मृति की अट्टालिका मे
पल छिन जो ठहरे हैं
अगणित रंगों मे घुले
रंग बड़े गहरे हैं
उसमे गुम सुम से सभी
सपने सुनहरे हैं
पाँव तो हैं ठिठके पर
समय प्रवाह जीत रहा
यह वर्ष भी बीत रहा।
समय को भना कौन बांध सका है,
वह तो व्यतीत होता जाएगा और अतीत होता जाएगा।
कोमल भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति।
दोनों भावों को बांध, नव उत्साह को प्रेरित करती, सार्थक रचना!!
पर पास खड़ा नया साल
मुझको समझाता है
मध्धिम मुस्कान संग
मुझको बहलाता है
प्राणों मे फ़िर से वही
आस फ़िर जगाता है
बीता जो लम्हा वह
बीत गया बात गयी
आगे का हर पल तो
तेरा बस तेरा है
जाने दे उस पल को
जो बीत रहा बीत रहा.
जाने वाले साल को भावपूर्ण बिदाई और नए साल का सुन्दर स्वागत आपने अपनी कविता के माध्यम से किया है.
नया साल आपको मंगलमय हो.
सुंदर भावपूर्ण कविता के लिए आभार॥ नववर्ष की शुभकामनाएं॥
जाने वाला साल जेसा भी गुजरा लेकिन इसे भाव भीनी विदाई कहने का समय आ ही गया, ओर नया आ रहा हे जल्द ही.... बहुत सुंदर भाव पुर्ण कविता धन्यवाद
बहुत सटीक और सुन्दर अभिव्यक्ति ...जो बीत गयी सो बात गयी ..नयी उम्मीदें लाये नया साल ...
स्मृति की अट्टालिका मे
पल छिन जो ठहरे हैं
अगणित रंगों मे घुले
रंग बड़े गहरे हैं
उसमे गम सुम से सभी
सपने सुनहरे हैं
पाँव तो हैं ठिठके पर
समय प्रवाह जीत रहा.
समय तो निरंतर चलता ही जायेगा ..
गम सुम -- गुम सुम है शायद .
पुराने साल के विदाई के साथ नए वर्ष का स्वागत करती हुई सुंदर कविता.....
नूतन वर्ष २०११ की हार्दिक शुभकामनाएं .
bahut hee sundar bhaav!!
नई आशा का संचार करती सुन्दर कविता.
रंजू.. हमको त बुझाइये नहीं रहा है कि इसको कबिता कहें कि गीत... काहे कि ई दूनो में से कुच्छो नहीं है.. लगता है सब्द सब्द पर्बत के सिखर से झरना के कलकल निर्मल जल के जईसा बह रहा है... बीतने वाले साल को देखने का नया नजरिया और नया साल के स्वागत करने का अनोखा ढंग...
बहुत सुंदर रचना!
.....
टाइपिंग का गड़बड़ी ठीक कर लोः
गम सुम = गुम-सुम
मध्धिम = मद्धिम
यह वर्ष भी निकल गया, अगला भी सुखमय हो, हार्दिक शुभकामनायें।
साँसों के जल से भरा,
घट भी तो रीत रहा.
और
पाँव तो हैं ठिठके पर
समय प्रवाह जीत रहा.
इतना सुंदर भाव लिए इतनी अच्छी कविता ... नव वर्ष के स्वागत पर इससे अच्छा मैंने नहीं पढा है। नव वर्ष में इसी तरह और अच्छी कविताएं रचें यही कामना है।
'बीता जो लम्हा वह
बीत गया बात गयी
आगे का हर पल तो
तेरा बस तेरा है
जाने दे उस पल को
जो बीत रहा बीत रहा.'
आस और विश्वास के बहुत ही सुन्दर भाव लिए हुए है यह कविता.
रंजना जी आप को और आप के परिवार के लिए नया साल शुभ और मंगलमय हो.
ढेर सारी शुभकामनाएँ.
शानदार एवं भावपूर्ण प्रस्तुति । नववर्ष की शुभकामनाएं।
बीत रहा सो बीत रहा ...
आने वाला पल ही अपना है ..
सकारात्मक सोच की सुन्दर कविता ...
नव वर्ष की शुभकामनायें !
नववर्ष-2011 की हार्दिक शुभकामनाएं।
चाहे घोर हो अंधकार
उसे चीरने को रोशनी की एक चमक पर्याप्त है।
बहुत सुन्दर भाव लिए पोस्ट बधाई |
नव वर्ष शुभ और मंगलमय हो
आशा
बहुत ही सुन्दर भावमय करते शब्दों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ...नववर्ष की ढेर सारी शुभकामनायें ...।
अद्भुत शब्द सौन्दर्य और प्रवाहमयी कविता मन प्रफुल्ल हुआ पढ़कर . ज्यादा क्या बोलू . . नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये .
अच्छा शब्द चयन और भाव |बधाई |
नव वर्ष शुभ और मंगलमय हो |
आशा
आशा का संचार करती सुन्दर प्रस्तुति।
नव वर्ष मंगलमय हो।
नव-वर्ष आप सब को भी मंगलमय हो.
अच्छी प्रस्तुति - अच्छी पोस्ट , नववर्ष की शुभकामनाएं । "खबरों की दुनियाँ"
पर पास खड़ा नया साल
देखो मुस्काता है
मद्धिम सी छेड़ तान
हम को बहलाता है
प्राणों मे फ़िर से वही
आस फ़िर जगाता है
बीता जो लम्हा वह
बीत गया बात गयी
आगे का हर पल तो
तेरा बस तेरा है
जाने दे उस पल को
जो बीत रहा बीत रहा.
भावुक कर गई रचना.. ... हरवंश राय बच्चन की कविता 'जो बीत गई सो बात गई' कविता सी लग रही है यह कविता.. बहुत सुन्दर... नव वर्ष की हार्दिक शुभकामना !
bhaupoorn sundar rachna.
nav varsh mangalmay ho.
नव वर्ष 2011
आपके एवं आपके परिवार के लिए
सुखकर, समृद्धिशाली एवं
मंगलकारी हो...
।।शुभकामनाएं।।
खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
अनगिन आशीषों के आलोकवृ्त में
तय हो सफ़र इस नए बरस का
प्रभु के अनुग्रह के परिमल से
सुवासित हो हर पल जीवन का
मंगलमय कल्याणकारी नव वर्ष
करे आशीष वृ्ष्टि सुख समृद्धि
शांति उल्लास की
आप पर और आपके प्रियजनो पर.
आप को भी सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर,
डोरोथी.
जाने दे उस पल को ,जो बीत रहा वो बीत रहा
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें....
जाने दे उस पल को ,जो बीत रहा वो बीत रहा
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें....
सुन्दर कविता,
नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं
चुड़ैल से सामना-भुतहा रेस्ट हाउस और सन् 2010 की विदाई
It's really a nice farewell to the passing year. Very impressive and sentimental expression!
Wish you a very happy New Year !
पर पास खड़ा नया साल
देखो मुस्काता है
मद्धिम सी छेड़ तान
हम को बहलाता है
प्राणों मे फ़िर से वही
आस फ़िर जगाता है
बीता जो लम्हा वह
बीत गया बात गयी
आगे का हर पल तो
तेरा बस तेरा है
जाने दे उस पल को
जो बीत रहा बीत रहा.
जो बीत गया उसे बीत जाने दो ...नए का स्वागत करो ...नव वर्ष 2011 मंगलमय हो ।
आप को सपरिवार नववर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं .
एकता की कर रही है पेश क़ुदरत भी मिसाल
देखिए संदेश कितना नेक है नए साल में
भूलकर शिकवे-गिले ऐसे चलो सब एक हों
’एक’ के आगे लगा ज्यों ’एक’ है नए साल में
नये वर्ष की असीम-अनन्त शुभकामनाएं.
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
navvarsh ki hardik shubhkamnaye
bahut badiya likha hai aapne..
Please visit my blog..
Lyrics Mantra
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जश्न हम मनाएं क्या
गीत नया गायें क्या
संचित अभिलाषा की
कथा अब सुनाएँ क्या
देख दशा अग जग की
मन तो भयभीत खड़ा ,
हौसला है अस्त पस्त
पार कहाँ सूझ रहा.
यह वर्ष भी बीत रहा.
aapke bhaavoN ki gahraii ko hum bahut acchi tarah se jaante hai
humne aapke har bhaav ko shiddat se mehsoos kiya hai hamesha ..or yahi karan hai ki hum aapke lekhan or aapke vyaktitav se itne prabhavit rahe hai
नई ऊर्जा उत्साह जगाती सुन्दर रचना के लिये बधाई। आपको सपरिवार नये साल की हार्दिक शुभकामनायें।
रंजना जी,
"स्मृति की अट्टालिका मे
पल छिन जो ठहरे हैं
अगणित रंगों मे घुले
रंग बड़े गहरे हैं
उसमे गुमसुम से सभी
सपने सुनहरे हैं
पाँव तो हैं ठिठके पर
समय प्रवाह जीत रहा.
यह वर्ष भी बीत रहा."
अंतर्मन को छू गयीं ये पंक्तियाँ !
इतनी गहन भावनाओं से सुवासित होकर पूरी कविता चन्दन चन्दन हो गई है !
नव वर्ष के स्वागत हेतु इतनी भाव पूर्ण, सुन्दर रचना के लिए धन्यवाद !
वर्ष-२०११ का हर दिन आपका और आपके परिवार का खुशियों से अभिषेक करता रहे ,इन्हीं मंगलकामनाओं के साथ ,
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
acchi rachna....ranjanaa ji....!!
रंजना जी ,
मेरे लिए आपकी ''संवेदना'' को बहुत -बहुत शुक्रिया ;जवाब मेरे ब्लॉग पर दे दिया है ....शायद न बताती अगर आप नहीं पूछतीं तो ....
लाल लगाम और नए साल की रचना ............दो अलग रंग पर संवेदनशील ......
Bahut hi sundar kavita hai Bhabhi. Aapko Naye warsh ka pranaam.
पर पास खड़ा नया साल
देखो मुस्काता है
मद्धिम सी छेड़ तान
हम को बहलाता है ...
न चाहते हुवे भी इस मुस्कान से दिल बहलाना पड़ता है ... कोई चारा नहीं है सिवाय कोशिश करके आने वाले साल को सुखद बनाने की .... वैसे समय की गर्भ में क्या छिपा है क्या पता ....
आपको और समस्त परिवार को नए वर्ष की बहुत बहुत शुभ कामनाएं ...
आपको भी नव वर्ष की बधाइयाँ।
...खुशियों की आश जगी।
प्राणों मे फ़िर से वही
आस फ़िर जगाता है
'आस' है तो विश्वास है
नया साल मुबारक हो
अच्छा गीत जिसमे जीवन कथा है ।
बहुत सुन्दर रचना। आपको सपरिवार नववर्ष की शुभकामनायें!
सुंदर अभिव्यक्ति ... समय के रंगों का जीवंत चित्रण....
waqt ko waise bhi kaun baandh paaya hai...........happy new year!!!!!!!!!!!!
इक सुन्दर सी वर्ष विदाई कविता -आपको भी सपरिवार नववर्ष मंगलमय हो !
सुंदर अभिव्यक्ति ..उत्साह जगाती सुन्दर रचना
आदरणीया रंजना जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
क्षमाप्रार्थी हूं , आपके यहां आ'कर भी हस्ताक्षर दर्ज़ नहीं कर पाता हूं !
इतनी सुंदर श्रेष्ठ रचनाओं के लिए उपयुक्त शब्द कहां से लाऊं , सोच कर झिझकता हूं , सकुचाता हूं !!
निवेदन है, कम लिखे को अधिक मान स्वीकार लीजिएगा !
आपकी गरिमा के अनुरूप तो नहीं हैं लेकिन मेरे हृदय के भाव-पुष्पों को अपने सृजन पर वार लीजिएगा !!
… … …
पास खड़ा नया साल
देखो मुस्काता है
मद्धिम सी छेड़ तान
हम को बहलाता है
प्राणों मे फ़िर से वही
आस फ़िर जगाता है
बीता जो लम्हा वह
बीत गया बात गयी
आगे का हर पल तो
तेरा बस तेरा है
आशा का संचार करती आपकी रचना के लिए साधुवाद !
~*~मकर संक्रांति और गणतंत्र दिवस सहित संपूर्ण नव वर्ष 2011 के लिए हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !~*~
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
अति सुन्दर मन को अंतर तक स्पर्श करती भावुक रचना ..अपार शुभ कामनाएं..सादर अभिनन्दन ...
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