24.2.09

अरे, वाह !! हम तो ब्लागर हैं !!!

आज तक ब्लागिंग हमारे लिए पढने और उद्गारों को अभिव्यक्त करने का एक सुगम माध्यम भर था ,पर भाई शैलेश भारतवासी के प्रयास से बाईस फरवरी को रांची में आयोजित अभूतपूर्व इस ऐतिहासिक ब्लागर मीट में क्या सम्मिलित हुए कि जबरदस्त अनुभूति हुई, लगा हम इलेक्ट्रानिक पन्ने पर महज पढने लिखने वाले नही बल्कि बड़े ख़ास जीव हैं..अब तो हम एक अलग प्रजाति के अंतर्गत हैं,कालर ऊपर उठा कह सकते हैं........भई ,हम कोई ऐरे गैरे नही,बिलागर हैं... भले पत्रकारों और साहित्यकारों के साथ साथ बहुतायतों की नजरों में हम इन्टरनेट पर टाइम पास करने वाले तुच्छ जीव क्यों न हों......


लगभग डेढ़ महीने पहले शैलेश ने जब इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन के विषय में बात की थी तो झारखण्ड में मुझे इसकी सफलता पर बड़ा शंशय था..परन्तु यह उसकी दृढ़ इच्छा शक्ति,लगन और परिश्रम का ही फल था कि कार्यक्रम इतनी सफलतापूर्वक संपन्न हो पाया..एक ओर जहाँ आयोजिका/व्यवस्थापिका भारतीजी के उदार ह्रदय(आयोजन के लिए जिन्होंने ह्रदय खोल मुक्त हस्त से धन व्यय किया था ) को देख हम अभिभूत हुए, वहीँ पत्रकार समुदाय का ब्लॉग के बारे में राय जानने का मौका भी मिला और सबसे बड़ी बात, इसी बहाने उन लोगों से संपर्क का सुअवसर मिला, जिन लोगों को आज तक सिर्फ़ पढ़ा था और अपनी कल्पना में उनकी छवि गढी थी. उनके साथ आमने सामने बैठकर बात चीत करना निश्चित रूप से बड़ा ही सुखद अनुभव रहा....


यह बड़े ही हर्ष और उत्साह का विषय है कि आज आमजनों को इलेक्ट्रानिक मिडिया (ब्लॉग )एक ऐसा माध्यम उपलब्ध है जिसके जिसके अंतर्गत अभिव्यक्ति कितनी सुगम और सर्वसुलभ हो गई है. अभिवयक्ति सही मायने में स्वतंत्रता पा रही है. मुझे लगता है,तालपत्रों पर से कागज पर और फ़िर इलेक्ट्रानिक संचार माध्यम पर उतरकर भी ज्ञान/साहित्य यदि ज्ञान/साहित्य है तो देर सबेर ब्लॉग के माध्यम से अभिव्यक्त सामग्री को भी टुच्चा और टाइम पास कह बहुत दिनों तक नाकारा नही जा सकेगा.हाँ, पर यह नितांत आवश्यक है कि अपना स्थान बनाने और स्थायी रहने के लिए ब्लाग पर डाली गई सामग्री स्तरीय हो. यह बड़े ही हर्ष और सौभाग्य की बात है कि तकनीक जो अभी तक अंगरेजी की ही संगी या चेरी थी, अब वहां हिन्दी भी अपना स्थान बनाने में सफल हुई है.


भाषा केवल सम्प्रेश्नो के आदान प्रदान का माध्यम भर नही होती, बल्कि उसमे एक सभ्यता की पूरी सांस्कृतिक सांस्कारिक पृष्ठभूमि,विरासत समाहित होती है. वह यदि मरती है तो,उसके साथ ही उक्त सभ्यता के कतिपय सुसंस्कार भी मृत हो जाते हैं ..विगत दशकों में हिन्दी जिस प्रकार संस्थाओं के कार्यकलाप से लेकर शिक्षण संस्थाओं तथा आम जन जीवन से तिरस्कृत बहिष्कृत हुई है, देखकर कभी कभी लगता था कि कहीं,जो गति संस्कृत भाषा ,साहित्य की हुई ,उसी गति को हिन्दी भी न प्राप्त हो जाय.पर भला हो बाजारवाद का,जिसने तथाकथित शिक्षित प्रगतिवादी तथा कुलीनों की तरह हिन्दी को अस्पृश्य नही बल्कि अपार सम्भावना के रूप में देखा ओर तकनीक में इसे भी तरजीह दिया.बेशक लोग हिन्दी में बाज़ार देखें ,हमें तो यह देखकर हर्षित होना है कि उन्नत इस तकनीक के माद्यम से हम हिन्दी प्रचार प्रसार और इसे सुदृढ़ करने में अपना योगदान दे सकते हैं. आज इस माध्यम के कारण ही प्रिंट तथा इलेक्ट्रानिक मिडिया के बंधक बने ज्ञान को अभिव्यक्त होने के लिए जो मुक्त आकाश मिला है,यह बड़ा ही महत्वपूर्ण सुअवसर है,जिसका सकारात्मक भाषा को समृद्ध और सुदृढ़ करने में परम सहायक हो सकता है और इसका सकारात्मक उपयोग हमारा परम कर्तब्य भी है..


आज ब्लाग अभिव्यक्ति को व्यक्तिगत डायरी के परिष्कृति परिवर्धित रूप में देखा जा रहा है, परन्तु यह डायरी के उस रूप में नही रह जाना चाहिए जिसमे सोने उठने खाने पीने या ऐसे ही महत्वहीन बातों को लिखा जाय और महत्वहीन बातों को जो पाठकों के लिए भी कूड़े कचड़े से अधिक न हो प्रकाशित किया जाय. इस अनुपम बहुमूल्य तकनीकी माध्यम का उपयोग यदि हम श्रीजनात्मक/रचनात्मक अभिव्यक्ति के लिए करें तो इसकी गरिमा निःसंदेह बनी रहेगी और कालांतर में गरिमामय महत्वपूर्ण स्थान पाकर ही रहेगी.केवल अपने पाठन हेतु निजी डायरी में हम चाहे जो भी लिख सकते हैं,परन्तु जब हम सामग्री को सार्वजानिक स्थल पर सर्वसुलभ कराते हैं, तो हमारा परम कर्तब्य बनता है कि वैयक्तिकता से बहुत ऊपर उठकर हम उन्ही बातों को प्रकाशित करें जिसमे सर्वजन हिताय या कम से कम अन्य को रुचने योग्य कुछ तो गंभीर भी हो. हाथ में लोहा आए तो उससे मारक हथियार भी बना सकते हैं और तारक जहाज भी.अब हमारे ही हाथ है कि हम क्या बनाना चाहेंगे.
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35 comments:

mark rai said...

bahut sahi kaha hai.

गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...

ऐसे ही कड़ी से कड़ी जुड़ती जाए तो श्रृखंला बनने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।

रंजू भाटिया said...

सही कहा आपने रंजना लिखना कैसे है यह सच में आपके हाथ में है ..बढ़िया कहा आपने

Smart Indian said...

अरे वाह! आभासी जगत से वास्तविक जगत में पदार्पण वाकई एक अनोखा अनुभव होगा. ऐसे आयोजन होते रहें. हिंदी ब्लॉग परिवार के सदस्य एक दुसरे से मिलें, जानें, यह खुशी की बात है.

Rachna Singh said...

aap aur aap kae bhai ek baarey maere yae likhnae sae
"ki jo log blog nahin likhtey aur kewal profile banaa kar kament kartey haen unka bloging mae koi astitav nahin haen " naaraj ho gaye thae kyuki tab aap kewal kament kartee thee . aaj aap ka blog haen aur aap ko us astitav hae is bloging ki duniya mae .
aap kyaa chahtee haen aap nirbheek ho kar keh rahee haen

achcha lagtaa haen aap ko blog likhtey daekh kar

achcha kyaa haen iski paribhasha bhahut mushkil haen aur blog mae yae kehna ki kiska laekhan achcha haen jaraa mushkil haen kyuki yahaan aabhivyakti haen man ki bhavnaayo ki aur bhasha par koi jor nahin hae kyuki hindi blog mae sab hindi bhashi nahin haen

राजीव करूणानिधि said...

ओह...मै नहीं आ पाया. वैसे नदीम भाई ने मेल भेजा था पर कुछ ज़रूरी वजहों से नहीं आ पाया. एक सार्थक प्रयास था, और ए जरूरी है कि इस तरह की जिंदादिल कोशिश की जाय. बधाई सभी ब्लोगरों को.

डॉ .अनुराग said...

chaliye achha hua ...aap log mil liye ..

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत प्रसंशनिय पहल है. आखिर आभासी पहचान हकीकत मे भी बदल सकती है. ये सिद्ध हो गया.

रामराम.

समय चक्र said...

ब्लॉग परिवार के सदस्य एक दुसरे से मिलें, जानें यह खुशी की बात है.

अभिषेक मिश्र said...

ब्लौगिंग पर बिल्कुल सही राय रखी है आपने. मगर यह नहीं बताया कि आपकी अपेक्षाओं पर कैसा रहा मीट!

Kamlesh Sharma said...

बिल्‍कुल ही सही कहा है

योगेन्द्र मौदगिल said...

बेहतरीन सोच और अनुभव बांटने का अद्भुत मंच है ये.... सब को बधाई..

विष्णु बैरागी said...

इस ब्‍लागर मीट की जिक्र इतनी बार पढने के बाद तो जलन होने लगी है आप सबसे।
भाग्‍यशाली हैं वे जो इसमें शामिल हुए।

दिगम्बर नासवा said...

ब्लॉग दुनिया में क्या छापना और क्या नही छापना चाहिए, इस के बारे में आपके विचार उत्तम हैं. जान कर अच्छा लगा की बहुत से लोग मिल कर बैठे और अच्छा विचारों का आदान प्रदान हुवा, पर ब्लोगेर की दुनिया इतनी व्यापक है की शायद पूरी दुनिया के सभी ब्लोगेर्स का सम्मलेन कभी होगा, इसकी बस कल्पना ही की जा सकती है.

एक अछा लेख, अच्छी शुरुआत. इस बात पर बहस जरूर होनी चाहिए की ब्लॉग पर क्या लिखा जाय क्या नही, या कोई आचार संहिता होनी चाहिए या नही

Hari Joshi said...

ऐसे आयोजन होते रहने चाहिए। कम से कम दायरा बढ़ता है और एक-दूसरे की सोच और अनुभवों का लाभ मिलता है।

Girish Kumar Billore said...

असहमत क्यों हूँ आपसे सौफीसदी सहमत

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

अच्छे लेखन के लिए बधाई।
रायटोक्रेट कुमारेन्द्र
नये रचनात्मक ब्लाग शब्दकार को रचनायें भेज सहयोग करें।

Gyan Dutt Pandey said...

डेढ़ साल पहले मैने एक व्यंग सा लिखा था, ब्लॉगर मीट पर।

अब तक विचार बहुत फर्म-अप नहीं हुये हैं पर जिज्ञासा तो मन में है कि लोग वैसे निकलते हैं, जैसी इमेज उनके ब्लॉग व उनकी टिप्पणियों से बनती है? या उसके उलट लगते हैं।

परमजीत सिहँ बाली said...

अच्छी पोस्ट लिखी है।ब्लोगर का उत्साह बढेगा।

राज भाटिय़ा said...

ब्लॉगर मीट के बारे ओरो के यहा भी पढा, बहुत अच्छा लगा,ओर ज्ञानदत्त जी की बात भी उचित है, हम सब एक दुसरे को अपने लेखो से ओर टिपण्णीयो से ही जानते है, लेकिन ब्लॉगर मीटिंग मे हम एक दुसरे को नजदीक से देखते है, ओर सही रुप मे पहचाने है, चलिये कभी हम भी किसी ब्लॉगर मीटिंग मै शामिल होगे.
आप का यह लेख पढ कर बहुत अच्छा लगा.
धन्यवाद

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

पूरी हिन्दी ब्लोग जग की प्रतिभाओँ को को हमारी बहुत सारी बधाईयाँ ..
- लावण्या

Anil Pusadkar said...

सालो बाद हमने अपना कालर खड़ा किया है,आपने सही लिखा मारना या तारना हमारे ही हाथ मे है।अफ़्सोस है की हम लोगो को आप लोगो से मिलने का सौभाग्य नही मिला।हम लोग भी छत्तीसगढ मे एक मीट कराने पर विचार कर रहे हैं,देखिये ईश्वर ने चाहा तो सफ़ल भी होंगे।

Shiv said...

ब्लॉगर मीट के बहाने बहुत ही अच्छा विमर्श किया. अद्भुत लेखन तो है ही.

रंजना said...

भाई अजीत वाडनेकर द्वारा मेल से प्राप्त टिप्पणी......


"""आज आपके ब्लाग पर टिप्पणी नहीं जा पा रही है। रांची ब्लागर मीट की समीक्षात्मक रिपोर्ट हम तक पहुंचाने के लिए धन्यवाद।
आपने ब्लागिंग से जुड़े मुद्दों पर अपना नजरिया रखते हुए सामान्य पाठक को अपनी धारणा बनाने का आधार प्रदान किया है।
शुक्रिया, बधाई
अजित """

Science Bloggers Association said...

"परन्तु जब हम सामग्री को सार्वजानिक स्थल पर सर्वसुलभ कराते हैं, तो हमारा परम कर्तब्य बनता है कि वैयक्तिकता से बहुत ऊपर उठकर हम उन्ही बातों को प्रकाशित करें जिसमे सर्वजन हिताय या कम से कम अन्य को रुचने योग्य कुछ तो गंभीर भी हो."

बहुत ही नेक सलाह है आपकी। ईश्वर से यही प्रार्थना है कि सभी ब्लॉगर्स इस मर्यादा का ख्याल रखें और ब्लॉग जगत की मान मर्यादा को बनाए रखें।

Manish Kumar said...

उत्तम विचार..सहमत हूँ आपसे !

Arvind Mishra said...

हमेशा की तरह सधी और संतुलित भाषा शैली में गहन विमर्श !

शैलेश भारतवासी said...

दीदी,

इसमें सभी का सम्मिलित होना ही इसे सफल बनाया, नहीं तो मैं चिल्लाता रह जाता, क्या हो जाता‌!

फिर भी, इतना मान देने के लिए शुक्रिया।

BrijmohanShrivastava said...

अति सुंदर विचार /

BrijmohanShrivastava said...

अति सुंदर विचार /

Ashutosh said...

बढ़िया कहा आपने.

हिन्दी साहित्य .....प्रयोग की दृष्टि से

cg4bhadas.com said...

छत्‍तीसगढ के विचार मंच में आपक स्‍वागत, है अगर आपके कोई भी खबर या जानकारी है जिसका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सम्बन्ध छत्तीसगढ से है तो बस कह दीजिये हमें इंतजार है आपके सूचना या समाचारों का घन्यवाद

Vinay said...

काफ़ी अनोखा अनुभव रहा होगा ना!

Prakash Badal said...

तभी तो आजकल शैलेश भाई का कोई अता-पता नहीं चल रहा था मैने सोचा कहीं हम से नाराज़ ही तो नहीं हो गये। क्योंकि मैं शैलेश भाई के लिए एक अहम परेशानी हूँ।रंजना जी आपका लेख बहुत अच्छा लगा और इसी लेख से ये भी पता चला कि शैलेश भाई झारखंड गये हुए थे। ख़ैर आपकी तस्वीर फिर से बदल गई और आपकी रचना भी नई शैली के साथ है व्यंग्य शैली
प्रणाम!

निर्झर'नीर said...

man khush huaa aapka lekh padhkar.

shailesh ji ka jo yogdaan hai vo hindi sahity mein ek yaadgaar meel ke patthar ki tarah hai.
shailesh ji ko bandhaii