यह सर्व विदित है कि, हिंदू धर्म में किसी भी पूजा के परायण में सर्वप्रथम गणेश की ही पूजा का विधान है.वस्तुतः गणेश बुद्धि विवेक के स्वामी माने जाते हैं.उन्हें गणनायक कहा जाता है.गण का तात्पर्य मनुष्य से भी है और देव से भी.अर्थात जो जनों/देवताओं में श्रेष्ठ हो वही गणनायक/जननायक है.फलस्वरूप बुद्धि विवेक के अधिनायक,देवों के अधिनायक की वंदना के उपरांत ही अन्य किसी भी देवी देवता की पूजा होती है.सफलता पूर्वक आयोजन के अनुष्ठान हेतु,उसने निर्विघ्न समापन हेतु विघ्नहर्ता का अनुष्ठान अनिवार्य है.
सहज ही हम देखते हैं कि जिस देवता के साथ उनके कर्म प्रवृत्ति अनुसार जो अवधारणा जुड़ी होती है,उस देव विशेष के मूर्त रूप की परिकल्पना भी उसी रूप में होती है.जैसे माँ काली को विकराल रूप में दिखाया जाता है,तो नीलकंठ भगवान शंकर को नागाहर भष्म विभूषित रूप में. इसी तरह चूँकि मानव जीवन में बुद्धि विवेक को सबसे महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है , सो इसके प्रतीक रूप में गजानन को भारी भरकम रूप में दिखाया जाता है.यूँ गणेश को लम्बोदर (बड़े पेट वाला) भी कहा जाता है,जिसका तात्पर्य है,बड़ी से बड़ी बात को पचाने वाला गंभीर विवेकवान तथा धैर्यशाली पुरूष.धीर गंभीर विवेकवान पुरूष ही नायक और पूज्य होता है..
अब बात यह है कि इतने भारी भरकम देवता का वाहन इतना छोटा सा मूषक क्यों माना गया है ? बात कुछ अटपटी सी लगती है.वस्तुतः वेद पुराण,आख्यान इत्यादि में जो भी कुछ लिखा दर्शाया गया है,उसके स्थूल रूप में बहुत ही गूढ़ तथ्य छिपे हुए हैं,तीक्ष्ण बुद्धि और शोध द्वारा ही रहस्य प्रकट किया जा सकता है.देवताओं के जो वाहन बताये गएँ हैं,वस्तुतः वे उनके गुण स्वरुप ही प्रतीक रूप में प्रयुक्त हुए हैं.जैसे गाय सत्व गुण की प्रतीक हैं और सिंह आदि रजोगुण के वैसे ही चूहा तर्क का प्रतीक माना जाता है.अहर्निश कांट छांट करना,अच्छी बुरी हर चीज को कुतर जाना - यह मूषक का स्वभाव है.असल में मनुष्य के मस्तिष्क में सदा स्वतंत्र विचारने वाला तर्क एकदम इसी तरह कार्य करता है.जहाँ बुद्धि होगी वहां जिज्ञासा होगी ही और जिज्ञासा तर्क की जन्मदात्री है.परन्तु तर्क पर भारी भरकम बुद्धि और विवेक की उपस्थिति तथा उसका अंकुश न हो तो यह जीवन के लिए कल्याणकारी नही होता. इसलिए तर्करूपी मूषक पर भारी भरकम बुद्धि विवेक के स्वामी विराजमान रहते हैं.
दीर्घ और लघु काया का यह सम्पूर्ण समन्वय बड़ा ही महत संदेश देता है और हमें दिखाता सिखाता है कि जीवन में बुद्धि तर्क और विवेक की मात्रा इसी अनुपात में होनी चाहिए. यही संतुलन जब अव्यवस्थित होता है तो संस्कार,संस्कृति का विनाश कर अपने साथ साथ समुदाय का जीवन भी दुखदायी बना देता है.
हमारी कामना है कि श्री गणेश सबके ह्रदय में विराजें और सबका जीवन सुखमय हो.
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चलते चलते एक बात और कहना चाहूंगी कि दीपावली पर जिस गणेश और लक्ष्मी की आराधना होती है,उसे सच्चे अर्थ में लोग ग्रहण करें.लक्ष्मी श्री विष्णु की अर्धांगिनी हैं पर उनकी पूजा सदा गणेश के साथ इसलिए होती है कि लक्ष्मी वहां कभी वास नही करतीं जहाँ गणेश न हों.धन वहीँ अपना स्थायी निवास बनाती है जहाँ बुद्धि विवेक के साथ सन्मार्ग पर चल इसका अर्जन हो, भोग विलास में न व्यय कर अपने सद्कर्म तथा परहित निमित्त व्यय हो.सदयुक्ति से धनोपार्जन तथा सद्प्रयोजन में व्यय ही मनाव धर्म है. " शुभ" के साथ ही सदा "लाभ" होता है.एक से बढ़कर एक धनी मानी,राजा राजवाडे हुए और जिस किसी ने भी इसे समुचित श्रद्धा सम्मान न दिया वह नष्ट हो गया.
कभी कभी देखने में लगता है कि अमुक तो इतना पापी है फ़िर भी दोनों हाथों धन बटोरे जा रहा है.परन्तु तनिक निकट जाकर उनके जीवन में देखेंगे तो पाएंगे कि ऐसे लोगों का जीवन कितना अधिक अशांत है. अन्हक का धन जैसे ही चौखट लांघती है अपने साथ कुसंस्कार और दुर्बुद्धि लेकर आती है और हजारों करोड़ भी वह व्यक्ति क्यों न जमा कर ले उसके कुमार्गगामी पीढी उसे शीघ्र ही नष्ट कर देती है.
सच्ची दीपावली वही होगी जब हम न तो वातावरण को ध्वनि तथा दूषित धूम्र द्वारा प्रदूषित करें और न ही जुआ शराब में उडाएं.जितना धन हमें इसमे व्यय करना है उसका आधा भी यदि उन व्यक्तियों में बाँट दें, जिसने कई दिनी से पेटभर अन्न नही खाया हो,जिसके तन पर आने वाली सर्दी से बचने के लिए वस्त्र न हों,तो माता लक्ष्मी और विघ्नहर्ता उसके घर में ,उसके ह्रदय में सदा निवास करेंगे,इसमे कोई संदेह नही. लक्ष्मी धन के रूप में यदि न भी बरसें तो संतोष और शान्ति रूप में जरूर बरसेंगी.और विघ्नहर्ता किसी भी कष्ट के क्षणों में किसी न किसी रूप में आकर हाथ पकड़ उबार जायेंगे.
सबको दीपावली की अनंत शुभकामनाये.............
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30 comments:
लम्बोदर (बड़ी बात को पचाने वाला गंभीर विवेकवान) गणेश और संस्कारलक्ष्मी!
बहुत सुन्दर लगी इन प्रतीकों का सही परिप्रेक्ष्य बताने वाली पोस्ट।
great yaar.....
very nice....in this festive season
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति है . देवी देवताओं की महिमा और उनके प्रतीकों महत्व और सार्थकता बताने के लिए साधुवाद .
साथ ही यह बताने के लिए की अमुक तो इतना पापी है फ़िर भी दोनों हाथों धन बटोरे जा रहा है.परन्तु तनिक निकट जाकर उनके जीवन में देखेंगे तो पाएंगे कि ऐसे लोगों का जीवन कितना अधिक अशांत है. अन्हक का धन जैसे ही चौखट लांघती है अपने साथ कुसंस्कार और दुर्बुद्धि लेकर आती है और हजारों करोड़ भी वह व्यक्ति क्यों न जमा कर ले उसके कुमार्गगामी पीढी उसे शीघ्र ही नष्ट कर देती है.
बहुत सार्थक पोस्ट है. ज्ञान की अभिव्यक्ति अद्भुत है. कुछ ही दिनों में ललित निबंध लिखने में महारत हासिल कर लेगी दीदी.और ये हमारे लिए गर्व की बात होगी.
बहुत रोचक जानकारी दी है आपने इस लेख के माध्यम से और सच्ची दिवाली तो सच में ऐसी ही होनी चाहिए
एक अच्छी तथ्यपरक पोस्ट बधाई ।
दीपावली की अनंत शुभकामनाओं के साथ.............
बहुत अच्छा लिखा है। बधाई स्वीकारें।
बहुत अच्छी जानकारी दी आपने ,शुक्रियाँ
ranjana ji
thanks for sharing such a wonderful post. dhanyawad
रंजना जी,
सार्थक व ज्ञानवर्धक जानकारी के लिये आपका आभार..
बहुत जानकारीपूर्ण एवं ज्ञानवर्धक पोस्ट. इसे मैने अपने दोस्तोँ को, जिनके बच्चे अभी स्कूल में हैं और भारत से दूर दादी नानी से यह कथाऐं नहीं सुन पाते, उन्हें भेजा है.
बहुत आभार इस पोस्ट का. दीपावली शुभ हो और ऐसे ही लिखती रहो.
गणेश जी पर काफी ज्ञानवर्धक जानकारी लगी-
(तर्करूपी मूषक पर भारी भरकम बुद्धि विवेक के स्वामी गणेश विराजमान रहते हैं.)
दीपावली पर आपको हार्दिक शुभकामनाऍं।
यह सुन्दर वर्णन याद रह जायेगा!
शुक्रिया आपने आज ज्ञान वर्धन किया ढेर सारा
चूहे कृषि के सबसे बड़े दुश्मन हैं और गणेश एक लोक देवता के रूप में किसानों के मित्र है मंगल करने वाले हैं जो बिना चूहे पर नियंत्रण के सम्भव नहीं है -इसलिए ही भीमकाय गणेश चूहों की सवारी कसे रहते हैं और लोकमंगल का मार्ग प्रशस्त करते हैं !
अच्छा लिखा है आपने !
bahut hi achha laa padhkar.....ek nai baat ko bade sukshm dhang se aapne bataya,samanvay zaruri hai
jay ganesh jay ganesh deva
mata jaki parvati pita mahadeva.
shri ganesh sabhi kashto ko harane vale hai .badhiya gyanavaradhak post. abhaar.
bahut hi achchha vichar chuna aapne .....
sab theek rahaa lekin maine apne liye ise rakh liya... :)
:)
jahaan shri ganesh ( बुद्धि विवेक ) vahi maata laxmi....
रंजना जी आज आप से बहुत ही सही बात का ग्याण मिला ,आप का लॆख सच मै बहुत ही अच्छा लगा, कई नयी बातो का पता चला. आप् ने सच लिखा हौ लक्ष्मी वही निवास करती है जहां गणॆश जी यान बुद्धि का बास हो.
धन्यवाद
आपको परिवार सहित दीपावली की शुभेच्छाएँ - सुँदर पोस्ट है -
स स्नेह्, लावण्या
kafi uchi soch hai aapki.
http://therajniti.blogspot.com/
अरे वाह ! बहुत ही अच्छा लगा यह आलेख....लक्ष्मीजी ने बाल गणेश को आशीर्वाद दिया था, की मेरे पूजन के साथ आपकी भी पूजा होगी....आपके काव्य लिखने की शैली भी मुझे बहुत ही पसंद है......
रंजना जी धन्यवाद!
आरी को काटने के लिए सूत की तलवार???
पोस्ट सबमिट की है। कृपया गौर फरमाइएगा...
-महेश
कभी कभी देखने में लगता है कि अमुक तो इतना पापी है फ़िर भी दोनों हाथों धन बटोरे जा रहा है.परन्तु तनिक निकट जाकर उनके जीवन में देखेंगे तो पाएंगे कि ऐसे लोगों का जीवन कितना अधिक अशांत है. अन्हक का धन जैसे ही चौखट लांघती है अपने साथ कुसंस्कार और दुर्बुद्धि लेकर आती है और हजारों करोड़ भी वह व्यक्ति क्यों न जमा कर ले उसके कुमार्गगामी पीढी उसे शीघ्र ही नष्ट कर देती है.
आपके द्वारा लिखे गए ये शब्द अक्सर ही सोचा करता रहा हूँ .........मगर कभी-कभी ये भी सोचता हूँ कि उपरवाले की न्याय की व्यवस्था पर अगाध आस्था के कारण ..(उपरवाले की लाठी ) ही हम एसा विश्वास करे हैं ...हकीकत में तो यह बहुत कम ही दृष्टिगोचर होता है .........जो भी कोई कैसा भी ....इसे देखकर हम भी अपनी मानवता छोड़ दें ...तो...तो...तो...आगे क्या कहूँ ??
सच्ची दीपावली वही होगी जब हम न तो वातावरण को ध्वनि तथा दूषित धूम्र द्वारा प्रदूषित करें और न ही जुआ शराब में उडाएं.जितना धन हमें इसमे व्यय करना है उसका आधा भी यदि उन व्यक्तियों में बाँट दें, जिसने कई दिनी से पेटभर अन्न नही खाया हो,जिसके तन पर आने वाली सर्दी से बचने के लिए वस्त्र न हों,तो माता लक्ष्मी और विघ्नहर्ता उसके घर में ,उसके ह्रदय में सदा निवास करेंगे,इसमे कोई संदेह नही. लक्ष्मी धन के रूप में यदि न भी बरसें तो संतोष और शान्ति रूप में जरूर बरसेंगी.और विघ्नहर्ता किसी भी कष्ट के क्षणों में किसी न किसी रूप में आकर हाथ पकड़ उबार जायेंगे.
इतनी अच्छी बातें याद दिलाने की लिए आभार!
बहुत सुंदर प्रस्तुति, बधाई!
संस्कार,संस्कृति का विनाश कर अपने साथ साथ समुदाय का जीवन भी दुखदायी बना देता है
aapko is daur ka chintak or vicharak kahna atishyotki nahii hogii..
aapko bhi Deepawali ki bandhaii
बहूत आचा लिखा हे आपने कभी मेरे ब्लॉग पर भी आए
बहुत ही बढ़िया रंजनाजी गणेशजी और उनकी सवारी के बारे मैं जानकारी काफी रोचक और ज्ञान वर्धक है. बधाई हो साथ ही दीपावली की हार्दिक सुभकामनाएँ.
मेरे ब्लॉग (meridayari.blogspot.com) पर भी कभी आयें
Jaankari bhara behtaren lekh. Badhai aur Swagat.
बहुत अच्छी जानकारी दी है, रंजनाजी आपने माफ़ी चाहूगां कि आपका यह लेख काफ़ी दिन बाद पढ रहा हूं।
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