- देख तेरे लिए तेरी पसंद की कचौड़ी जलेबी लाया हूँ ,एकदम गरमा गरम......चल फटा फट खा ले.......दो दिन से तूने कुछ नही खाया........देख तो कैसे मुंह सूख गया है........चल गुस्सा छोड़...खा ले जल्दी से.......फ़िर हम तुम मजे करेंगे............देख तो कितनी मस्त हवा चल रही है,कितना मस्त मौसम है........अच्छा चल ले, कान पकड़ता हूँ......अपनी कसम......माँ की कसम .......तेरे सर की कसम,अब कभी तेरे पर हाथ न उठाऊंगा.
-चलो हटो,कह दिया न भूल से भी छूना मत मुझे,नही चाहिए...जलेबी कचौडी.......भूखी मर जाउंगी, पर इसको हाथ न लगाउंगी ....याद है, आज तक कितनी बार क़समें खा चुके हो........बस एक बार पेट में बोतल उतारी नही कि सारी क़समें घास चरने चली जाती हैं........अब मैं तुम्हारी बातों में नही आने वाली.....अब किसी भरम में न रहूंगी.......
- अच्छा चल इस बार पक्का.....एकदम से पक्का......कह दिया न ...देख लेना.....तू भी तो बस, उस वक्त ताव दिला देती है जब मेरा दिमाग ठिकाने नही रहता........ देख तेरे बिना मैं जी सकता हूँ ???? तू तो मेरी जान है.....
- अच्छा.... मैं जान हूँ???? तो वो सब कौन हैं ???
- अरे बेवकूफ ,वो सब तो पत्तलें हैं,खाकर बाहर फेंक आता हूँ.........और तू तो थाली है,वो भी सोने वाली,सहेजकर हिफाजत से घर में रखने वाली.....
- अच्छा......सोने की ही सही,मैं भी तो सामान ही हुई न तुम्हारे लिए ???
- अरे, ऐसे बुरा न मान........तू तो जानती है, मैं तुझसे कितना प्यार करता हूँ........
- अच्छा, एक बात बताओ....आख़िर मुझमे क्या कमी है,जिसके लिए तुम्हे बाहर पत्तलों के पीछे जाना पड़ता है ????
- तुझमे कोई कमी नही रे.........देख..... तूने देखा है न,अपने सारे देवता कई कई बीबियाँ रखे हुए हैं,तो भी कोई उनकी शिकायत करता है ? पूजा ही करता है न ... अपने कृष्ण भगवान् को ही ले ले ....सोलह हजार रानियाँ रखे हुए थे......कोई उनकी शिकायत करता है ?.... तू भी तो उनकी पूजा ही करती है,सुबह शाम दिया दिखiती है....अरे यह तो रिवाज है.......मर्दानगी की निशानी है.....अपने यहाँ का शान है......राजा महराजा भी तो इतनी बीबियाँ रखते थे......इनकी तो छोड़........अच्छे करम कर जब लोग स्वर्ग जाते हैं, वहां क्या मिलता है ???? एक से बढ़कर एक दारू और एक से बढ़कर एक अप्सरा .........तो जब धरती से लेकर स्वर्ग तक यह जायज है तो ,तुझे क्यों इतना ऐतराज है ??..........अब मैं कहीं भी जाऊं ......वहां कुछ छोड़ कर आता हूँ ???? एकदम साबुत तेरे पास ही तो लौटता हूँ......तेरे प्यार में, तेरा ख़याल रखने में, कोई कमी रखता हूँ??? चल तू ही बता..........
- अच्छा एक बात पूछूं ???????
- हाँ पूछ न.........जो पूछेगी सब का जवाब दूँगा.........
- एक बात बताओ........अच्छे करम करने से स्वर्ग मिलता है ???? हैं न ??
- हाँ ,बिल्कुल.........
- और स्वर्ग में ,दारू और अप्सराएँ मिलती है ????
- हाँ बिल्कुल..बिल्कुल .........
- तो मान लो, आज से मैं तुमसे कोई शिकायत न करूँ, तुम्हारी हर बात मानू, केवल अच्छे काम करूँ .......तो मुझे पुण्य मिलेगा न ???
- हाँ ,हाँ ....क्यों नही........
- अच्छा ,जो मुझे पुण्य मिलेगा तो स्वर्ग भी मिलेगा ????
- हाँ रे....
- अच्छा ,तो तुम्हारे लिए तो दारू अप्सराएँ होंगी स्वर्ग में ,मेरे लिए क्या होगा ??
- ???????????
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48 comments:
जबरदस्त कटाक्ष --- आप की लघु कथा की नायिका ने अपने पियक्कड़ पति से यह पूछ कर कि तुम्हारे लिये तो दारू अप्सराएं होंगी स्वर्ग में, मेरे लिये क्या --- एक करारा सा तमाचा जड़ा है, जिस की गूंज अभी भी आ रही है।
अच्छा ,तो तुम्हारे लिए तो दारू अप्सराएँ होंगी स्वर्ग में ,मेरे लिए क्या होगा ??
- ???????????
इस बात का जवाब आसान नही होगा पतिदेव के लिए देना ..बहुत बढ़िया व्यंग लिखा है आपने जो एक कड़वी सच्चाई को उजागर करता है
लाजवाब व्यंग रचना.
रामराम.
bahut baDhiya
---आपका हार्दिक स्वागत है
गुलाबी कोंपलें
तीक्ष्ण कटाक्ष| चेहरा देखने लायक होगा पति महोदय का|
bahut achcha likha hai
अफ़सोस, इसका जवाब किसी धार्मिक पुस्तक में नहीं है!
(gandhivichar.blogspot.com)
- अच्छा ,तो तुम्हारे लिए तो दारू अप्सराएँ होंगी स्वर्ग में ,मेरे लिए क्या होगा ??
- ???????????
accha vyang
लाजवाब कटाक्ष ... लाजवाब रचना
रंजना जी, एक बात कहूँ, आप बुरा न माने, आप अपने व्यंग्य में सुरु से आख़िर तक एकदम ठीक चल रही थी , अगर मैं बिना लेखक का नाम जाने , इस व्यंग्य पर टिपण्णी करता तो यही कहता " भाई साब, आप लगता है पीने के काफ़ी आदी हो चुके जो इस तरह से बीबी को फुसलाने की कला जानते हैं" ! लेकिन व्यंग्य की आखिरी लाईन में स्त्रीत्व का बोध झलक ही गया !
आपका ये अंदाज भी भाया!
सही हैं ,गज़ब का सवाल हैं ,किसी के पास उत्तर नही होगा इसका .बहुत अच्छी व्यंग कथा
बहुत खूब | क्या सटीक प्रश्न किया है ....
katha ke aarmabh ki teen panktiya padhkar hi main samajh gaya tha ki aap kaha le jaane waali hai..
shyad aapke shabdo ko ab pechaanne laga hu..
ise ek jwalant post kahunga.. aur ha vyangya to kabhi nahi kahunga..
नारी के लिये स्वर्ग?! स्वर्ग में देवता होते हैं, और पति सबसे बड़ा देवता है!
अगर पत्नी स्वर्गवासी पहले हो गयी तो उसके पुण्य से इस पति को देवत्व मिलेगा और उसके पास पंहुचाया जायेगा मृत्योपरान्त!
Ranjana ji
bahut umda likha hai aapney. ek hi sans mein padhna pada, vyang ke saath aapne jo prashn par laakar khada kar diya usey vakyee mein samajhne ki zaroorat hai. bahut hi ache samvadon mein Buni hui behtareen rachna
meri badhai sweekaren
manuj mehta
bahut khub vyang ranjana ji
la-javab
niruttar kardiya...........
कवितायें भी ,कहानी भी ,व्यंग्य भी एक ही व्यक्ति में कितनी क्षमताएँ भर कर ईश्वर भेजता है -आश्चर्य होता है /तुझमे कोई ........चल तू ही बता -करारा व्यंग्य /
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने। पर इसे मैं व्यंग्य नहीं कहना चाहूंगा। इतनी सटीक, इतनी बेबाक। सीधा-सपाट और चुभनेवाली पोस्ट। मुबारकबाद।
एक के लिए यहाँ भी दारू वहाँ भी दारू. दूजे के लिए जलेबी कचोड़ी.
bahut uttam kataksh, vyangya rachna,dheron badhai aisi sateek panktiyon ke liye.swapn
मैं तो इसे ऐसे घटिया लोगों के मुँह पर तमाचा कहूँगा ! बेहतरीन !
jahan tak pati ke tark ki baat hai...rajneesh ne bhi ek charcha mein kuch kahani suna kar pati ka yahi tark sathapit kiya tha....magar is sawal ke jikr shayad us charcha mein bhi nahin tha....to phir patni ke liye kya hai swarg mein...
sarthak rachna
बेहतरीन...
स्वर्ग और नर्क यहीँ भोग रहे हैँ मनुज .
.बहुत अच्छा लिखा ..
- लावण्या
इसे कहते है नहले पे दहला, बहुत ही सुंदर कहानी आज अपनी बीबी को भी सुनाऊगां. केसे केसे लोग भरे है इस दुनिया मै.
धन्यवाद
आपके लेखन का यह नया अंदाज़ भी बहुत अच्छा है . बधाई.
वाह वाह क्या खूब कहा है। कि मर्द कुछ भी कर ले तो उसके लिए तो सब माफ और अगर औरत कोई अच्छा काम करे तो उसे क्या मिलेगा कोई जबाब नहीं । मज़ेदार बात यह है आपकी कहानी में कि ये यह भी बताती है कि पुरुष अपने आप अगर ग़लत काम कर दे तो महिला के समक्ष इस प्रकार के तर्क रखेगा कि उसने गुनाह नहीं बल्कि पुण्य का कार्य किया और अगर यही कार्य महिला कर दे तो बदचलन कही जाती है। वाह रे सड़े हुए समाज!
बहुत ही जोरदार व्यंग है !!!!!!!
सही लिखा............मर्द जो करे सब ठीक...........पत्नी अगर बोल भी दे, नए नए बहाने निकल कर आ जाते है.
अच्छा व्यंग......अच्छी अंदाज़ में लिखा है आपने
गणतंत्र दिवस की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं
http://mohanbaghola.blogspot.com/2009/01/blog-post.html
इस लिंक पर पढें गणतंत्र दिवस पर विशेष मेरे मन की बात नामक पोस्ट और मेरा उत्साहवर्धन करें
बहुत सुंदर लिखा है आपने ये सिर्फ़ व्यंग्य नही है व्यथा है. अपनी कमजोरी छुपाने के लिए क्या क्या बहने हो सकते हैं उसका एक जीता जगता उदहारण है .. बधाई
अच्छा ,तो तुम्हारे लिए तो दारू अप्सराएँ होंगी स्वर्ग में ,मेरे लिए क्या होगा ?
यह कड़वा सच लाजवाब कर गया.
बहुत बढ़िया.
वैसे ये पति झूठ बोलता है. स्वर्ग में इसके लिए फटे जूते धरे हैं पिटाई के वास्ते. और यहाँ नहीं तो वहां ये ज़रूर पिटेगा.
... प्रश्न सुनकर ही दिमाग सुन्न हो गया होगा, जबाव तो बहुत दूर की बात है!
... बहुत ही प्रभावशाली व प्रसंशनीय अभिव्यक्ति है।
bahut sundar vyang hai.
इस नश्वर धरती से ले कर आसमान तक--- इट्स ओनली अ मान'स वर्ल्ड!!
रंजना जी, अच्छी रचना के जिये साधुवाद स्वीकारें...
अच्छा ,तो तुम्हारे लिए तो दारू अप्सराएँ होंगी स्वर्ग में ,मेरे लिए क्या होगा ??
- ???????????
LAJAWAAB.
bezor,lajabab,bahut bahiya....taarif me kya kahu samajh nahi aata....bahut achha likha hai aapne.
लाजवाब व्यंग रचना.अच्छी रचना के जिये साधुवाद स्वीकारें.
अच्छी पोस्ट। बढिया कटाक्ष।
बहुत बढ़िया.
मन के अन्दर तक भेद गई आपकी लघु कथा-- यहाँ हमारे भारतीय समाज में जो हजारों साल से चली आ रहा नासूर-रूपी झूठी मर्दानी शान का अच्छा चित्रण किया है, हमारा समाज आँख बंद किए हुए इस बेहूदा बात को अपनाने वालों को देवता तक बना दिया.
विडम्बना यही कि आज जो सच है उसे व्यंग कहा जाता है | स्वर्ग की कल्पना भी लम्पट और विलासी बुद्धिजीवियों ने ही रची होगी | सिर्फ हिन्दू ही नहीं हर सम्प्रदाय में स्वर्ग के वर्णन लम्पटता के लिए ढाल बने हुए हैं |
ताना बाना बहुत खूब बुना है और कसावट भी कमाल की है |
और क्या लिखूं ? समाज तो सुधारने से रहा !!
सुंदर एवं रमणीय रचना
bahut sundar ...,
ekdam satik...,aur ant mei to kamal ki sikh..un mardo ke liye jo apni khusiya ghar se bahar talasa karte hai..., meri shubhkamnae sweekar karen...mk
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